बेरोजगार अध्यापक संघ का आरोप, एसएमसी पॉलिसी 2017 का अपमान कर रही है प्रदेश सरकार
Unemployee Teachers Association हिमाचल प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल सिंह की अध्यक्षता में हुई अॉनलाइन बैठक में प्रदेश सरकार पर 2017 की एसएमसी नीति का अपमान करने का अारोप लगाया है। नीति के प्रावधानों का ध्यान नहीं रखा जा रहा।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Unemployee Teachers Association, हिमाचल प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल सिंह की अध्यक्षता में हुई अॉनलाइन बैठक में प्रदेश सरकार पर 2017 की एसएमसी नीति का अपमान करने का अारोप लगाया है। नीति के प्रावधानों का ध्यान नहीं रखा जा रहा। बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय सिंह, अतिरिक्त महासचिव लेख राम, सचिव स्वरुप कुमार, उपाध्यक्ष संजय राणा, अजय रत्न, मुख्य संगठन सचिव पुरुषोत्तम दत्त, वित्त सचिव संजीव कुमार, प्रैस सचिव प्रकाश चंद, संगठन सचिव यतेश शर्मा, हरिन्द्र पाल, आडिटर सुधीर शर्मा, रणयोध सिंह, जिलाध्यक्ष कांगड़ा जगदीप सिंह जम्वाल, ऊना रजनी वाला, बिलासपुर किशोरी लाल तथा मंडी सुरेश कुमार आदि ने भाग लिया। उन्होंने कहा सरकार कर रही है। 2017 में बनाई गई एसएमसी पॉलिसी का अपमान है।एसएमसी पॉलिसी में यह प्रावधान किया गया था कि हर साल नया सलेक्शन प्रोसेस होगी और पहले से तैनात एसएमसी शिक्षक को किसी भी सूरत में सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा।
सरकार इन 2555 शिक्षकों को एक नहीं बल्कि नौ बार सेवा विस्तार दे चुकी है। यह एसएमसी पॉलिसी का सरासर अपमान है। सरकार ने नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए संविधान की धारा 309 के अनुसार भर्ती एवं पदोन्नति नियम बनाए। जिनके अनुसार नियमित शिक्षकों की भर्ती या तो कमीशन से हो सकती है या बैचवाईज हो सकती है या रोस्टर के अनुसार हो सकती है। 2555 एसएमसी शिक्षकों की भर्ती न तो कमीशन से हुई है, न तो बैचवाईज हुई है और न रोस्टर के अनुसार हुई है। यह कहना भी गलत है कि एसएमसी शिक्षक केवल जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। एक आरटीआइ के तहत खुलासा हुआ है कि हिमाचल में कुल 792 एसएमसी स्कूल लैक्चरर न्यू काम कर रहे हैं। जिनमें से 582 स्कूल लैक्चरर न्यू गैर कवाईली क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।
ज्ञात रहे पिछले 20 साल में 15000 शिक्षकों की बैकडोर एंट्री की गई है, जिससे हिमाचल प्रदेश के 15000 पात्र उमीदवारों को अपने संवैधानिक हकों से वंचित होना पड़ा है। इन पात्र उमीदवारों के साथ साथ इनके 15000 परिवारों की जिन्दगियां भी खराब हो चुकी है। सच यही है कि हिमाचल जैसी देव भूमि में अपने चहेतों को लाभ देने के लिए मानवता के साथ खिलवाड़ हो रहा है।