शराब के नशे में ड्यूटी देने पर ऊना के छह पुलिस कर्मचारियों का वेतन रोका
शराब पीकर किसी भी विभाग में ड्यूटी करना या गाड़ी चलाना अपराध की श्रेणी में आता है। अपराध को नियंत्रित करने के लिए व कानून का पालन करवाने के लिए हर प्रदेश की प्रहरी पुलिस है मगर ऊना में मामला इससे विपरीत है।
गगरेट, संवाद सहयोगी। शराब पीकर किसी भी विभाग में ड्यूटी करना या गाड़ी चलाना अपराध की श्रेणी में आता है। अपराध को नियंत्रित करने के लिए व कानून का पालन करवाने के लिए हर प्रदेश की प्रहरी पुलिस है, मगर ऊना में मामला इससे विपरीत है।
जिला ऊना में छह पुलिस कर्मियों के शराब सेवन से पुलिस अधीक्षक भी खासे परेशान हैं। इन कर्मियों को पहले तो मौखिक चेतावनी दी गई और फिर विभागीय, लेकिन इनके कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। अब इनके वेतन पर रोक लगा दी गई है।
ये पुलिस कर्मी अलग-अलग जगह तैनात हैं और पुलिस अधीक्षक की ओर से इन्हें चेतावनी देने के बावजूद सुधार नहीं आया है। लगातार ड्यूटी में शराब के कारण कोताही बरत रहे थे। कुछ के हालात तो इतने गंभीर हंै कि उनके हाथ तक कांपते हैं और डंडा तक मजबूती से नहीं पकड़ पाते। पुलिस कर्मियों की इस आदत को छुड़वाने के लिए अब पुलिस लाइन में एक ऐसा सेंटर प्रस्तावित है, जिसके माध्यम से हर पुलिसकर्मी का अल्कोहल टेस्ट होगा। इस टेस्ट को हर पुलिस कर्मी को करवाना अनिवार्य होगा और इसमें दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है।
कोविड के बाद से अल्कोहल सेंसर पर प्रतिबंध है, जो कि अभी तक शुरू नहीं हुआ है। इस कारण से भी शराब के सेवन की जांच नहीं हो पा रही है। हालांकि नए मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार शराब पीकर वाहन चलाने का जुर्माना दस हजार के करीब है, लेकिन शराब पीकर ड्यूटी करने के जुर्माने का अभी कानून की किताबों में कहीं जिक्र नहीं है सिवाए विभागीय जांच करके लीपापोती करने के। जिला पुलिस अधीक्षक की यह नई कार्रवाई कितनी कारगर सिद्ध होगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
फिलहाल छह पुलिसकर्मियों की सैलरी रोकी गई है। भविष्य में पुलिसकर्मी शराब का सेवन करके ड्यूटी न करें उसके लिए पुलिस लाइन में एक सेंटर बनाया जा रहा है। जब वह बनकर तैयार होगा, तो उस बारे में मीडिया को बता दिया जाएगा।
-अर्जित सेन ठाकुर, एसपी ऊना