ओलावृष्टि, तूफान से झड़ गई दो साल की मेहनत
मौसम की बेरुखी ने दो साल की मेहनत पर पानी फेर दिया। तूफान से सेब के बगीचे में सारे फल झड़ गए। जो बचे थे वे बारिश व ओलावृष्टि से दागी हो गए। बागवान राकी जट्ट को दो साल बाद भी मायूसी ही हाथ लगी है।
टांडा, जागरण संवाददाता। मौसम की बेरुखी ने दो साल की मेहनत पर पानी फेर दिया। तूफान से सेब के बगीचे में सारे फल झड़ गए। जो बचे थे वे बारिश व ओलावृष्टि से दागी हो गए। बागवान राकी जट्ट को दो साल बाद भी मायूसी ही हाथ लगी है।
सदरपुर पंचायत में राकी जट्ट ने उद्यान विभाग की मदद से सेब का बगीचा तैयार किया है। दो साल पहले करीब 145 सेब के पौधे लगाए गए थे। पौधे अब फल देने के लिए तैयार थे। इस बार फ्लावरिंग भी अच्छी हुई थी। सेटिंग भी ठीक थी। खूब फल लगे थे। बागवान राकी जट्ट भी उत्साहित थे कि कांगड़ा जिले के निचले क्षेत्र में सेब का बगीचा तैयार करने की उनकी हसरत पूरी हो गई। मुनाफा न सही, लेकिन दो साल में उन्होंने जो मेहनत की थी उसकी कुछ न कुछ भरपाई होगी। 15-20 दिन के भीतर कई बार हुई भारी बारिश, ओलावृष्टि व तूफान से उनकी सारी मेहनत बेकार हो गई।
राकी जट्ट बताते हैं कि उन्होंने अपनी दादी जोगिंद्री देवी के नाम पर पांच कनाल भूमि में 145 सेब के पौधे लगाए हैं। उद्यान विभाग के अधिकारियों के सहयोग से अनुदान पर पौधे मुहैया करवाए गए थे। इन्हेंं तैयार करने में समय-समय पर अधिकारियों का मार्गदर्शन मिला। अपने बागवान दोस्तों से भी कब स्प्रे करनी, कब खादी डालनी इत्यादि के बारे में सहयोग लिया। अब जब फसल तैयार हुई तो मौसम ने दगा दे दिया। सारी मेहनत बेकार हो गई। ओलावृष्टि से सारे फल दागी हो गए व तूफान से झड़ गई। अब पौधे खाली हो गए हैं। राकी ने उद्यान विभाग के अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई है।