पतलीकूहल में डेनमार्क से लाए पांच लाख ट्राउट के अंडे, पर्यटन सीजन के चलते बड़े होटलों में बढ़ी डिमांड
पतलीकूहल फार्म में बाढ़ से करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। तीन बार बाढ़ की चपेट में आने से सभी ट्राउट खत्म हो गई थी। डेनमार्क से ट्राउट मछली के पांच हजार अंडे लाकर अब एक बार फिर पतलीकूहल फार्म में ट्राउट को बढ़ावा दिया जा रहा है।
कुल्लू,दविंद्र ठाकुर। ट्राउट के लिए प्रसिद्ध पतलीकूहल फार्म में बाढ़ से करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। तीन बार बाढ़ की चपेट में आने से सभी ट्राउट खत्म हो गई थी। इसके बाद वर्ष 2020 में डेनमार्क से ट्राउट मछली के पांच हजार अंडे लाकर अब एक बार फिर पतलीकूहल फार्म में ट्राउट को बढ़ावा दिया जा रहा है। कुल्लू जिला में वर्ष 1993 में पहली बार मत्स्य फार्म पतलीकूहल नष्ट हुआ इसके बाद 1996 में फिर से मत्स्य फार्म को तैयार किया गया।
इसके बाद वर्ष 2003 में बाढ़ आई और सारी ट्राउट मर गई इसके बाद वर्ष 2018 में फिर से बाढ़ आई और इस दौरान करीब पांच करोड़ का नुकसान हुआ। इसके बाद 2019 में कोरोना काल के चलते बंद रहा और अब जनवरी 2021 में फिर से ट्राउट फार्म शुरू किया गया। अब ट्राउट के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभाग लगातार प्रयासरत है। पर्यटन सीजन के चलते ट्राउट मछली की डिमांड दिनों दिन बढ़ रही है। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े होटलों से लगातार डिमांड आ रही है। ऐसे में अब मछली पालकों के उत्पादन भी बढ़ा है।
कोरोनाकाल में लगातार मत्स्य पालकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। अब कोरोना काल के बाद मत्स्य कारोबार को गति मिल रही है। पतलीकूहल फार्म से हर साल 10 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है। इसकी सप्लाई बड़े महानगरों के फाइव स्टार होटलों को भी की जाती है। विश्व विख्यात पर्यटन नगरी कुल्लू मनाली में हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। यहां पर आकर ट्राउट का आनंद लेते हैं।
मत्स्य आहार संयंत्र लगाया
कुल्लू जिला के पतलीकूहल में मत्स्य विभाग द्वारा मत्स्य आहार संयंत्र लगाया गया है। इसमें एक घंटे में 500 किलोग्राम मछली का आहार तैयार किया जाता है। इसमें विभागीय फार्मो व निजी मत्स्य पालकों की डिमांड पूरी की जाती है। इसकी सप्लाई प्रदेश के बाहर उतराखंड, भूटान व सिक्किम में भी की जाती है।
आठ से नौ लाख मछली का बीज होता है तैयार
कुल्लू जिला में प्रजनन के लिए बंजार हामणी, पतलीकूहल व नग्गर के बटाहर में हेचरी मत्स्य प्रजनन केंद्र है। इन केंद्र में ट्राउट समेत मछलियों के बीज, बच्चे तैयार किए जा रहे हैं। इनकों मिलकर आठ से नौ लाख मछली का बीज तैयार करते हैं। इसके अलावा निजी फार्म में भी तीन से चार लाख मछली का बीज तैयार किया जाता है।
मत्स्य विभाग पतलीकूहल के उपनिदेशक महेश कुमार ने कहा कि कुल्लू जिला से दिल्ली, मुम्बई, जैसे बड़े शहरों से ट्राउट की भारी डिमांड आ रहा है। कोरोना काल के बाद अब धीरे धीरे मत्स्य कारोबार पटरी पर लौटने लगा है।