Friendship Day 2021: धर्मशाला व मैक्लोडगंज में पर्यटक यादगार बनाने आते हैं जिंदगी के खास लम्हों को, खूबसूरती निहारने के साथ लेते हैं यहां के मौसम का लुत्फ
हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में काफी ऐसे स्थल हैं जहां पर पर्यटक अपने जीवन के महत्वपूर्ण लम्हों को यादगार बनाने आते हैं। इन्हीं में से एक है मैक्लोडगंज धर्मकोट व नड्डी जहां पर पर्यटक आकर कुछ समय व्यतीत करना चाहते हैं।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में काफी ऐसे स्थल हैं जहां पर पर्यटक अपने जीवन के महत्वपूर्ण लम्हों को यादगार बनाने आते हैं। इन्हीं में से एक है मैक्लोडगंज, धर्मकोट व नड्डी जहां पर पर्यटक आकर कुछ समय व्यतीत करना चाहते हैं।
देश व विदेश के पर्यटक यहां पहुंचते हैं तो तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के मंदिर में जरूर जाते हैं यहां पर बोद्धभिक्षुओं की पूजा प्रणाली को जानने के जिज्ञासू भी कुछ समय यहां रुकते हैं अौर करीब से इस तिब्बती संस्कृति से रूबरू होते हैं। यूं तो अप्रैल माह से लेकर जून तक का समय मैक्लोडगंज को निहारने के लिए सबसे बेहतर समय है पर अन्य समय में भी यहां पर पर्यटकों को अावाजाही रहती है। हालांकि अक्टूबर माह से मार्च माह तक यहां पर ऑफ सीजन होता है।
नहीं भूलते नड्डी से दिखने वाला सनसेट ब्यू
पर्यटक जब यहां पर आते हैं तो नड्डी जरूर जाते हैं और नड्डी से पहले देवदार के पेड़ों के बीच में ऐतिहासिक डल झील भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। इस झील का भी अपना महत्व है, इस झील को मणिमहेश झील व मणिमहेश स्नान के साथ जोड़कर देखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस झील में मणिमहेश का पानी आता है। वहीं नड्डी से सन सेट का ब्यू भी यहां पहुंचने वाला पर्यटक नहीं भूल पाते है। यहां आने पर इस नजारे को जरूर अपने मोबाइल में कैद करते हैं।
भागसू नाग मंदिर व वाटर फाल
पर्यटक मैक्लोडगंज आए और भागसू नाग मंदिर न पहुंचे ऐसा हो ही नहीं सकता। यहां पर पहुंचते ही पर्यटक अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए वाटर फाल की तरफ बढ़ जाते हैं और वाटर फाल के साथ की दुकानों में कई तरह के व्यंजन भी पर्यटकों को लुभाते हैं। काफी समय पर्यटक वाटर फाल में व्यतीत करते हैं।
चट्टानों से बना मसरूरटेंपल में समय बिता रहे पर्यटक
कांगड़ा जिला का मसरूर मंदिर भी पर्यटकों को अपनी तरफ खींच रहा है। यह मंदिर यूं तो आठवीं शताब्दी में निर्मित हुआ है, बड़ी बात यह है कि मंदिर चट्टानों को काट कर बना है और यहां पर भगवान शिंव व विष्णु आदि की मूर्तियां स्थापित हैं। हालांकि कुछ मूर्तियां 1905 के भूकंप में भी खराब हुई है। 1913 में अंग्रेज अधिकारी हेनरीशटलवर्थ इन मंदिरों को पुरातत्वविदों के ध्यान में लेकर आये थे। मंदिर से जुड़ी हुई पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के समय पांडवों ने गुप्त वनवास के समय इन मंदिरों का निर्माण करवाया था। कुछ समय के बाद कौरवों को जब उनके बारे में पता चल गया तब वो लोग इस स्थान को छोड़ कर चले गए इसी वजह स इन मंदिरों का निर्माण अधूरा रह गया।
बरोट विलेज का दीदार करने लगे पर्यटक
कांगड़ा जिला का रुख करने वाले पर्यटक बरोट विलेज में प्राकृतिक नजारों का आनंद उठाते हैं। यहां पर बड़े होटलों के बजाए लोग होम स्टे में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। इन दिनों पर्यटक बरोट के सौंदर्य को अपने कैमरों में कैद करने के साथ वहां कुछ दिनों तक रहकर प्राकृतिक नजारों का लुत्फ लेते हैं और जीवन को यादगार बनाते हैं।