कर्मचारियों के जायज हकों की बात करना पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा का धर्म : प्रवीण शर्मा

रविंदर शर्मा जल शक्ति विभाग को जिला कांगड़ा का महासचिव व प्रवक्ता करण मेहता बिजली विभाग को प्रदेश बिजली बोर्ड प्रभारी का कार्यभार सौंपते हुए कहा कि कर्मचारियों के जायज हकों की बात करना पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा का धर्म है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 12:00 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 12:00 PM (IST)
कर्मचारियों के जायज हकों की बात करना पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा का धर्म : प्रवीण शर्मा
कर्मचारियों के जायज हकों की बात करना पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा का धर्म है।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने समस्त कार्यकारणी की राय से पवना देवी डीसी ऑफिस धर्मशाला को स्टेट उपाध्यक्ष, रविंदर शर्मा जल शक्ति विभाग को जिला कांगड़ा का महासचिव व प्रवक्ता, करण मेहता बिजली विभाग को प्रदेश बिजली बोर्ड प्रभारी का कार्यभार सौंपते हुए कहा कि कर्मचारियों के जायज हकों की बात करना पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा का धर्म है।

प्रवीण शर्मा ने कहा कि यह मोर्चा किसी भी पार्टी के लिए कार्य नहीं कर रहा बल्कि कर्मचारियों की पुरानी पेंशन के लिए काम कर रहा है और साथ ही हर उस व्यक्ति की आवाज उठाता है जो पीड़ित है। उन्होंने कहा कि हमने दशहरे के दिन एनपीएस रूपी रावण का पुतला जला कर पूरे देश को संदेश दिया कि पीड़ित लोग खुद अपने हक के लिए लड़े। हमारे साथ बहुत से स्वयं अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोग जुड़ रहे हैं। हमने शुरू में ही कहा था कि आम लोगों के अधिकारों को निजी हाथों में सौंप कर देश विकसित नहीं होते पर आम लोग इस बात को समझ नहीं पाए।

2003 में हिमाचल सरकार ने अपने ही कर्मचारियों का फंड एनएसडीएल कंपनी को बेच कर बता दिया कि वे आम जनता के हितैषी नहीं हैं। हम 2003 की सरकार से पूछना चाहते हैं कि जो हमारे कर्मचारी वर्षों अपनी सेवाएं देकर रिटायर हो चुके हैं क्यों सामाजिक असुरक्षा का शिकार हैं, क्या उस समय की सरकार का यह औचित्य नहीं कि वह रिटायर कर्मियों को सम्मानजनक पेंशन दिलवाए, ताकि बुढ़ापे में भी यह रिटायर कर्मी सामाजिक रूप में सुरक्षित हो सकें।

उन्होंने कहा कि जिन भी लोगों के अधिकार निजीकरण के चलते छिने हैं वे हमारा साथ नहीं अपना साथ दें और अपने लिए खुद लड़ें अगर लड़ नहीं सकते तो जो लड़ रहे हैं उनका साथ दें। उन्होंने कहा कि कानून संसद बनाती है जिसमें कर्मचारियों व आम लोगों के अधिकारों को छीना जाता है। न्यायालय तो मात्र संसद के हाथों की कठपुतली हैं जहां वर्षो पीड़ित लोगों के केस चलते हैं पर मरणोंउपरांत भी हक़ नहीं मिलते।

उन्होंने कहा कि हम मरते दम तक उस पेंशन की बात करते रहेंगे जिसे राजनीतिज्ञ इलेक्शन हारने पर लेते हैं। पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा हर उस व्यक्ति के साथ है जो कर्तव्यों को पूर्ण करने के बाद अधिकारों से वंचित है। मोर्चा कोई संगठन नहीं बल्कि अधिकारों की प्राप्ति के लिए एक नई सोच है। इस सोच का सभी साथ दें यही मोर्चा का कथन भी है।

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