कॉलेज छात्रावास निर्माण में गड़बड़झाला, विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में सही पाए गए आरोप

Thiyog College Hostel Building Scam शिमला के डिग्री कालेज ठियोग में एससी-एसटी छात्र छात्रावास के निर्माण में हुए गड़बड़झाले में विजिलेंस में हिमुडा से रिकाॅर्ड कब्जे में लिया है। अब जल्द ही हिमुडा के अधिकारियों से पूछताछ होगी। इस मामले में विजिलेंस ने पांच जून को एफआइआर दर्ज की थी।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 12:56 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 12:56 PM (IST)
कॉलेज छात्रावास निर्माण में गड़बड़झाला, विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में सही पाए गए आरोप
ठियोग कालेज में छात्रावास के निर्माण में हुए गड़बड़झाले में विजिलेंस में हिमुडा से रिकाॅर्ड कब्जे में लिया है।

शिमला, राज्य ब्यूरो। Thiyog College Hostel Building Scam, जिला शिमला के डिग्री कालेज ठियोग में एससी-एसटी छात्र छात्रावास के निर्माण में हुए गड़बड़झाले में विजिलेंस में हिमुडा से रिकाॅर्ड कब्जे में लिया है। अब जल्द ही हिमुडा के अधिकारियों से पूछताछ होगी। इस मामले में विजिलेंस ने पांच जून को एफआइआर दर्ज की थी। इसमें ठेकेदार के अलावा हिमुडा के अधिकारियों को भी आरोपित बनाया गया था। अब आरोपित ठेकेदार को पूछताछ के लिए नोटिस भेजकर विजिलेंस के शिमला स्थित थाने में तलब किया जाएगा। आइटीआइ मंडी की रिपोर्ट के अनुसार भवन के डिजाइन और कंक्रीट की गुणवत्ता के साथ कई अन्य कमियां बताई गई हैं। विजिलेंस की प्राथमिक जांच में पाया गया कि निर्माण सामग्री घटियास्तर की लगाई गई।

दैनिक जागरण ने उठाया था मामला

दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया। इसमें कहा गया कि कालेज परिसर में हिमुडा द्वारा 3.70 करोड़  की लागत से बने छात्रावास को बिना इस्तेमाल किए गिराने की तैयारी की जा रही है।

क्या है मामला

2012 -18 के छह साल में बनकर तैयार यह पांच मंजिला भवन बनने के दो सालों के बाद ही असुरक्षित घोषित कर दिया गया। 27 कमरों वाले इस छात्रावास को 105 विद्यार्थियों के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे कभी भी इस्तेमाल नहीं किया गया। इस भवन में फरवरी 2019 से ही दरारें पडऩी शुरू हो गई थी। भवन की छत से पानी टपकने के कारण इसकी अधिकतर दीवारों में सीलन रहती थी। पांच मंजिला भवन के डंगे में आई दरार और दीवारों से प्लास्टर गिरने की लिखित शिकायत कालेज प्रशासन द्वारा हिमुडा के अधिकारियों को 2019 में कर दी गई थी। तब विभाग द्वारा ठेकेदार को भवन की मरम्मत के आदेश दिए थे, लेकिन ठेकेदार ने लीपापोती ही की।

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