यह अधिकारी 250 किलोमीटर साइकिल चलाकर पहुंच गया चंद्रताल झील

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार का जिन्होंने 250 किलोमीटर का सफर साइकिल पर किया। मंडी की सिराज घाटी के थुनाग से लाहुल स्पीति की चंद्रताल झील तक। अधिकारी ने इसके जरिये लोगों को पर्यावरण का संदेश दिया।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 11:55 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:55 PM (IST)
यह अधिकारी 250 किलोमीटर साइकिल चलाकर पहुंच गया चंद्रताल झील
एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक संदीप चंद्रताल झील में अपने दोस्त जसप्रीत पाल के साथ साइकिलिंग करते हुए। सौ. स्वयं

मंडी, हंसराज सैनी । रोहतांग के रास्ते पर जब आप गुलाबा से ऊपर चढ़ते हैं तो चौड़े पत्तों वाले पेड़ों की कतार दोनों ओर दिखती है। वहां प्रकृति स्वयं आपके स्वागत के लिए दिल खोल कर खड़ी होती है। यह सुंदरता साइकिल चलाने वाले की थकान को हर लेती है। बस इन्हीं नजारों ने लाहुल घाटी में चंद्रताल झील तक पहुंचा दिया।Ó यह कहना है भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार का जिन्होंने 250 किलोमीटर का सफर साइकिल पर किया। मंडी की सिराज घाटी के थुनाग से लाहुल स्पीति की चंद्रताल झील तक। मकसद साइकिलिंग को बढ़ावा देना तो था ही, पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन की दृष्टि से हिमाचल पथ परिवहन निगम की नई भूमिका की तलाश करना भी था। उनके साथी रहे जसप्रीत पाल जो राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित वर्चुअल फायर फोक्स फायर स्ट्राम 2021 साइकिङ्क्षलग के विजेता रह चुके हैं। कांगड़ा और ऊना के जिलाधीश रहते हुए संदीप भी कई बार साइकिलिंग के लिए सुर्खियों में रहे हैं। इस यात्रा का लाभ यह हुआ कि पर्यटकों के लिए जल्द ही मनाली से चंद्रताल झील तक टेंपो ट्रेवलर सेवा शुरू की जा सकती है। रविवार को परीक्षण होगा।

संदीप और जसप्रीत के साथ बेशक एक सहायता वाहन भी था लेकिन दोनों हर रोज 60 किलोमीटर से अधिक साइकिल पर ही चले। जहां रुकते, संदीप सरकारी काम भी निपटाते थे। चंद्रताल झील पहुंचकर वहां कूड़ा कचरा, चारों तरफ बिखरी शराब व बीयर की बोतलें इकट्ठी कर साफ-सफाई की। संदीप कुमार सरकारी कार्य से सराज हलके के थुनाग में नौ जून को आए। 10 जून की सुबह चार बजे उन्होंने यात्रा शुरू की। पहला दिन थुनाग से कुल्लू, दूसरे दिन कुल्लू से कोकसर पहुंचे।

गौरतलब यह है कि कोकसर जाने के लिए रोहतांग सुरंग का सहारा नहीं लिया बल्कि दर्रा लांघा। तीसरे दिन कोकसर से बातल और चौथे दिन बातल से चंद्रताल पहुंचे। चंद्रताल पहुंचने के लिए 70 किलोमीटर साइकिल नालों व कच्चे रास्तों से होकर चलाई। सरकारी कार्य प्रभावित न हो इसके लिए सुबह चार बजे से 11 बजे तक साइकिङ्क्षलग की। इसके बाद दिन में सरकारी काम निपटाया।

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'थुनाग से चंद्रताल झील तक का साइकिल से सफर चुनौतीपूर्ण व रोमांच से भरा था। उद्देश्य प्रदेश में साइकिलिंग को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना था। अच्छी बात यह है कि चंद्रताल पर इस बार उतना कचरा नहीं दिखा, जितना 2008 में दिखा था। कचरा साथ ले आया हूं जो स्मरण करवाता है कि पर्यटक क्या-क्या लेकर वहां पहुंचते हैं।Ó

-संदीप कुमार, प्रबंध निदेशक एचआरटीसी हिमाचल प्रदेश।

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