world Hepatitis day एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है यह रोग, अब बच्चे भी बनते जा रहे इसका शिकार

हेपेटाइटिस एड्स से भी ज्यादा खतरनाक बनता जा रहा हैं। अब यह रोग बच्चों को चपेट में ले रहा है। हिमाचल में नशे की लत और नशे के लिए एक ही सीङ्क्षरज रेजर और टुथ ब्रश का संयुक्त उपयोग इसका मुख्य कारण है। इनमें युवाओं की तादाद ज्यादा है।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 11:40 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 11:40 PM (IST)
world Hepatitis day एड्स से भी ज्यादा खतरनाक है यह रोग, अब बच्चे भी बनते जा रहे इसका शिकार
हिमाचल में हेपेटाइटिस बी व सी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जागरण आर्काइव

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। हेपेटाइटिस एड्स से भी ज्यादा खतरनाक बनता जा रहा हैं। अब यह रोग बच्चों को चपेट में ले रहा है। हिमाचल में नशे की लत और नशे के लिए एक ही सीरिंज , रेजर और टुथ ब्रश का संयुक्त उपयोग इसका मुख्य कारण है। प्रदेश में एक माह में 10 से 15 केस हेपेटाइटिस बी और सी के आ रहे हैं। इनमें युवाओं की तादाद ज्यादा है।

प्रदेश में हेपेटाइटिस बी के 123 मरीज और सी के 196 मरीज उपचार ले रहे हैं। इनमें पांच बच्चे हैं, जिनका उपचार चल रहा है। हेपेटाइटिस बी का पता लोगों में बहुत देर से चलता है। जब किसी अन्य बीमारी के कारण अस्पताल आते हैं तो ही जांच के दौरान इसका पता चलाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एड्स से एक वर्ष में जितनी मौत होती हैं, हेपेटाइटिस बी के कारण एक दिन में होती है।

स्पीति में 22.9 फीसद लोग प्रभावित

हिमाचल के स्पीति में 22.9 फीसद लोग हेपेटाइटिस की चपेट में हैं। प्रदेश में दो से सात फीसद लोग इसकी चपेट में है। हेपेटाइटिस बी या सी पूरी उम्र रहता है। प्रदेश के जिला लाहुल स्पीति में रेजर, ब्रश और सीङ्क्षरज का संयुक्त उपयोग इसका कारण है।

हेपेटाइटिस के होते हैं पांच प्रकार

हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है। इनमें ए,बी,सी,डी और ई है। ए व ई वायरस दूषित भोजन व पानी से होता है। हेपेटाइटिस-बी, सी व डी गर्भवती से बच्चे, असुरक्षित यौन संबंध, एक ही सीङ्क्षरज, रेजर और टूथ ब्रश को कई लोगों द्वारा इस्तेमाल करने और दूषित रक्त चढ़ाने से होता है। इनमें बी सबसे ज्यादा खतरनाक है।

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हेपेटाइटिस-बी के नेगेटिव आने पर मात्र 200 रुपये की वैक्सीन के तीन डोज से बचाव हो जाता है। हेपेटाइटिस सी के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हेपेटाइटिस बी होने पर लीवर का कैंसर और लीवर खराब हो सकता है। हेपेटाइटिस-बी के उपचार के लिए हर माह 2000 रुपये की दवाइयां व जांच पूरी उम्र करवानी पड़ती है, जबकि हेपेटाइटिस-सी का तीन माह तक उपचार करवाना पड़ता है, जिसपर 50 हजार रुपये खर्च आता है।

-डा. बृज शर्मा, गैस्ट्रोएंट्रोलजी विभाग प्रमुख, आइजीएमसी शिमला।

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