तीन लैब में हीमोग्लोबिन जांच की रिपोर्ट ने उलझाया मरीज
कोई मरीज भगवान के बाद डाक्टर पर ही भरोसा करता है। डाक्टर भी इलाज तभी कर पाएंगे जब उन्हें मर्ज मालूम हो। मरीज के टेस्ट की रिपोर्ट सबसे अहम है। यदि निजी लैब की टेस्ट रिपोर्ट ही भ्रम पैदा करे तो मर्ज दूर होने के बजाय और उलझ जाएगा।
राजेश डढवाल, ऊना। कोई मरीज भगवान के बाद डाक्टर पर ही भरोसा करता है। जाहिर सी बात है डाक्टर भी इलाज तभी कर पाएंगे जब उन्हें मर्ज मालूम हो। इसके लिए मरीज के टेस्ट की रिपोर्ट सबसे अहम है। यदि निजी लैब की टेस्ट रिपोर्ट ही भ्रम पैदा करे तो मर्ज दूर होने के बजाय और उलझ जाएगा। ऐसा ही मामला जिला मुख्यालय ऊना में सामने आया है जहां तीन निजी लैब की टेस्ट रिपोर्ट से एक व्यक्ति की सांसें अटकी रहीं।
ऊना निवासी एक व्यक्ति तबीयत खराब होने पर 10 जुलाई को जिला मुख्यालय स्थित निजी प्रेक्टिस करने वाले डाक्टर के पास गए। डाक्टर ने उन्हें खून जांच करवाने की सलाह दी। वह स्वजन सहित ऊना की एक प्रमुख निजी लैब में खून में हीमोग्लोबिन की जांच करवाने पहुंचे। सैंपल की टेस्ट रिपोर्ट में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11.5 ग्राम थी। उन्होंने रिपोर्ट डाक्टर को दिखाई। डाक्टर ने उनकी जांच कर किसी अन्य लैब में हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच करवाकर आने की सलाह दी। रोग से परेशान व्यक्ति ने 11 जुलाई को ऊना बाजार में स्थित अन्य मशहूर निजी लैब में खून का सैंपल दिया। रिपोर्ट में हीमोग्लोबिन की मात्रा 9.0 ग्राम बताई गई। डाक्टर ने उन्हें एक बार फिर टेस्ट करवाने के लिए कहा। उन्होंने ऊना में ही स्थित अन्य निजी लैब में महज 25 मिनट के अंतराल में टेस्ट करवाया। हैरत यह थी कि इस बार हीमोग्लोबिन की मात्रा 10.6 थी। तीन निजी लैब की तीन अलग-अलग रिपोर्ट देखकर डाक्टर भी हैरान रह गए। इन रिपोर्ट से ऊना जिला में निजी लैब की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल पैदा हो गए हैं।
पसोपेश में मरीज व स्वजन
एक ही बीमारी के लिए किए गए टेस्ट की रिपोर्ट अलग आने से मरीज और उनके स्वजन भी पसोपेश में हैं कि सही रिपोर्ट कौन सी मानी जाए। हैरत यह है कि रिपोर्ट में कई अंकों का अंतर आया। ऐसे हालात में डाक्टर भी अपने अनुभव और अनुमान के गठजोड़ के बाद ही इलाज की दिशा तय करने पर मजबूर हैं।
पहले भी हुई हैं शिकायतें
ऊना जिला में मरीजों और उनके स्वजनों की ओर से पहले भी निजी लैब की टेस्ट रिपोर्ट पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। इस संबंध में कई बार मौखिक शिकायतें भी की गई हैं। अब तीन लैब की टेस्ट रिपोर्ट अलग-अलग आने से इनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है।
निजी लैब में हुए टेस्ट रिपोर्ट में इस प्रकार भिन्नता मरीज के उपचार को प्रभावित कर सकती है। ऊना जिला की निजी लैब पर निगरानी रखी जाएगी।
डा. निर्दोष भारद्वाज, एमएस, ऊना अस्पताल।