सात कोरोना संक्रमित परिवारों के घर अस्थियां पहुंचा चुका है नौ साल का यह बालक

श्मशानघाट व मृतकों के पास जाने से हर बच्चा डरता है तथा परिवार के सदस्य भी इस कार्य से बच्चों को दूर रखते हैं लेकिन नौ वर्षीय कुनाल धीमान कोरोना महामारी के दौरान संकट से जूझ रहे कोरोना संक्रमित परिवारोंं के लिए फरिश्ता बन कर कार्य कर रहा है।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 04:45 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 04:45 PM (IST)
सात कोरोना संक्रमित परिवारों के घर अस्थियां पहुंचा चुका है नौ साल का यह बालक
भोरंज उपमंडल के बैरी ब्राह्मïणा श्मशानघाट में पिता के साथ कोरोना संक्रमित व्यक्ति की अस्थियां चुनता कुनाल धीमान। जागरण

जाहू, दीना नाथ शास्त्री। श्मशानघाट व मृतकों के पास जाने से हर बच्चा डरता है तथा परिवार के सदस्य भी इस कार्य से बच्चों को दूर रखते हैं लेकिन नौ वर्षीय कुनाल धीमान कोरोना महामारी के दौरान संकट से जूझ रहे कोरोना संक्रमित परिवारोंं के लिए फरिश्ता बन कर कार्य कर रहा है। हमीरपुर जिला के भोरंज उप मंडल के धमरोल गांव के नौ वर्षीय बालक की आयु अभी छोटी है मगर काम बड़े आदमी की तरह हैं। स्थानीय एक निजी स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढऩे वाला कुनाल स्कूल की ऑनलाइन पढ़ाई करने के बाद कोरोना संक्रमित मृतकों की अस्थियां अपने पिता नरेश कुमार के साथ चुनकर पुण्य ही नहीं कमा रहा बल्कि उन लोगों के लिए भी किसी नजीर से कम नहीं है जो कोरोना संक्रमित को देखकर ही अपना मुंह मोड़ रहे हैं। 

भोरंज उप मंडल की भुक्कड़ पंचायत  के बैरी ब्राहमणा गांव में 53 वर्षीय व्यक्ति की कोरोना संक्रमण होने के बाद सारा परिवार आइसोलेट है। गांव के लोग कोरोना महामारी के कार मृतक की अस्थियां को धोने व चुनने से मना कर रहे थे। इतने में परिवार के सदस्यों ने हैप्ली युवक क्लब धमरोल के सदस्यों से संर्पक किया। बैरी ब्राह्मïणा गांव के निकट बने श्मशानघाट में शुक्रवार दोपहर डेढ बजे से दो बजे तक कुनाल धीमान व उसके पिता ज्योति के कोरोना संक्रमित व्यक्ति का अस्थियां को धोकर व अन्य क्रिया करके वहीं एक थैली में लटका दिया।

कुनाल धीमान इससे पहले सात स्थानों पर कोरोना संक्रमितों की अस्थियां धोने के कार्य को अंजाम दे चुका है। श्मशानघाट पर दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कुनाल धीमान ने कहा कि अगर परिवार के सदस्य इस संकट की घड़ी में कार्य कर रहे हैं तो बेटे को भी उनके पद चिन्हों पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कार्य से कोई डर नहीं लग रहा है बल्कि हौंसले का कार्य करने की सीख मिल रही है। कोरोना महामारी का समाज पर संकट बना हुआ है। इसके लिये सभी को सहयोग व साथ देना चाहिए। 

क्या कहते हैं नरेश कुमार। 

कुनाल धीमान के पिता नरेश कुमार का कहना है कि कुनाल ने स्वयं ही कोरोना संक्रमण के दौरान समाज सेवा करने के लिए पेशकश की है। ऐसे में एक पिता होने पर बच्चों के जज्बे को कम नहीं कर सकता। नाबालिग  होने पर भी काफी सहासी है। इसलिए वह मृतकों को जलाने व अस्थियां धोने के लिए कार्य कर रहा है।

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