फैसला सराहनीय, गिराने के बजाय भवन का हो सदुपयोग

जागरण संवाददाता धर्मशाला मैक्लोडगंज में निर्माणाधीन बस अड्डे के बहुमंजिला निर्माण को गिरा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 07:34 AM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 07:34 AM (IST)
फैसला सराहनीय, गिराने के बजाय भवन का हो सदुपयोग
फैसला सराहनीय, गिराने के बजाय भवन का हो सदुपयोग

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : मैक्लोडगंज में निर्माणाधीन बस अड्डे के बहुमंजिला निर्माण को गिराए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का लोगों ने स्वागत किया है। कोर्ट के निर्णय के बाद बुधवार को मैक्लोडगंज में माहौल भी बदला रहा। इस दौरान लोगों का यह भी मत रहा कि भवन को गिराने के बजाय यहां पर पुलिस थाना, डाकघर, बैंक या टैक्सी स्टैंड की व्यवस्था की जाए। हालांकि भवन नियमों का उल्लंघन कर बनाया है और इसे तोड़ा भी जाएगा लेकिन लोगों के अपने-अपने मत रहे।

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खाली है निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत

वर्तमान में इस बहुमंजिला इमारत के धरातल में बेसहारा पशुओं का ठिकाना है। पहली, दूसरी व तीसरी मंजिल भी खाली है। यहां पर निर्माण करने वाली कंपनी के ठेकेदार का दफ्तर है। साथ ही कुछ अन्य राज्यों के लोगों ने सिर छुपाने के लिए इस जगह को शरणस्थली बनाया है। बस अड्डे और व्यावसायिक परिसर का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में किया है। दोनों भवन साथ-साथ बने हैं।

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क्या है बहुमंजिला भवन में

मैक्लोडगंज में दो बहुमंजिला इमारतें हैं। बहुमंजिला इमारत के धरातल पर बस अड्डा है और दूसरी मंजिल पर पार्किंग है। तीसरी मंजिल पर भी कार व टैक्सी पार्किंग है। पहले कार पार्किंग की 100 रुपये फीस ली जाती रही है लेकिन पर्यटकों व स्थानीय लोगों की आपत्ति पर जिला प्रशासन ने अब इसे सभी के लिए मुफ्त कर दिया है। इसी पार्किंग की ऊपरी मंजिल में कुछ दुकानें हैं। हर दुकान का मासिक किराया आठ हजार रुपये से अधिक है। पिछले कुछ समय से दुकानों का बिजली-पानी एनजीटी के आदेश पर काट दिया है। ठेकेदार व कंपनी के अनुबंध के अनुसार दुकानें 2022 तक किराये पर दी गई हैं। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी दुकानदारों को होगी। पार्किंग के साथ ही सड़क के दूसरी ओर बनी बहुमंजिला इमारत में कंपनी ने होटल व रेस्तरां बनाना शुरू किया है। धरातल सहित चार मंजिलों का काम पूरा हो चुका है। ऊपर एक अन्य मंजिल का काम होना था, जिस पर रोक लगी थी। अब इस भवन को गिराने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है।

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यह केस काफी लंबा चला। यहां पर जो बहुमंजिला भवन है उसे गिराने के बजाए सरकार अपने अधीन ले ले। बहुमंजिला भवन का इस्तेमाल पुलिस थाना, अस्पताल, रेहड़ी फड़ी वालों व अन्य लोगों के कल्याण के लिए हो सकता है।

-नरेंद्र पठानिया, अध्यक्ष व्यापार मंडल मैक्लोडगंज

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भवन को गिराने के बजाए इसका प्रयोग अन्य कार्यो के लिए किया जा सकता है। सरकार भवन को अपने अधीन ले और यहां पुलिस थाना, डाकघर, अस्पताल व अन्य जरूरत के कार्यालय खोल दिए जाएंगे। न्यायालय का फैसला सराहनीय है।

-पवन कुमार, सलाहकार व्यापार मंडल, मैक्लोडगंज

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सर्वोच्च न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है। कांग्रेस शासनकाल में नियमों को ताक पर रखकर भवन का निर्माण किया गया है। न्यायालय में केस चला लेकिन यहां पर बहुमंजिला भवन बनकर तैयार हो गया है। भवन को गिराने के बजाए यहां पर सुविधाएं मिलें तो बेहतर होगा।

रमेश जरियाल, पूर्व अध्यक्ष टैक्सी यूनियन मैक्लोडगंज

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बहुमंजिला भवन का निर्माण नियमों को ताक पर रखकर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय है लेकिन भवन को गिराने से करोड़ों रुपये का नुकसान होगा। भवन का इस्तेमाल जनकल्याण के लिए किया जा सकता है।

गांजू राम, स्थानीय निवासी

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कई लोगों ने दुकानें किराये पर ली हैं और उनके बिजली-पानी के कटे हैं। लाखों रुपये की पगड़ी दी है। किराया भी प्रति दुकान आठ हजार रुपये दे रहे हैं। करीब दस दुकानें यहां पर हैं। ऐसे में इस भवन को गिराने के बजाए सदुपयोग किया जाना चाहिए।

-अतुल कुमार, स्थानीय निवासी

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