हिमाचल में शिक्षकों का होगा युक्‍तीकरण, वीडियो कांफ्रेंसिंग में चर्चा के दौरान केंद्र ने दिए निर्देश

Teachers Rationalized सालों से एक ही स्थान पर डटे शिक्षकों को अब ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भेजा जाएगा। शिक्षा विभाग युक्‍तीकरण (रेशनेलाइजेशन) की प्रक्रिया के तहत इन शिक्षकों का तबादला करेगा। इसके लिए विभागीय स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 05:58 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 08:19 AM (IST)
हिमाचल में शिक्षकों का होगा युक्‍तीकरण, वीडियो कांफ्रेंसिंग में चर्चा के दौरान केंद्र ने दिए निर्देश
सालों से एक ही स्थान पर डटे शिक्षकों को अब ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भेजा जाएगा।

शिमला, अनिल ठाकुर। सालों से एक ही स्थान पर डटे शिक्षकों को अब ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भेजा जाएगा। शिक्षा विभाग युक्‍तीकरण (रेशनेलाइजेशन) की प्रक्रिया के तहत इन शिक्षकों का तबादला करेगा। इसके लिए विभागीय स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी है। पिछले सप्ताह केंद्रिय शिक्षा मंत्रालय के साथ आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग में इसको लेकर लंबी चर्चा हुई है। केंद्र ने हिमाचल को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (राइट टू एजुकेशन एक्ट) के तहत स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्‍त‍ियां करने के निर्देश दिए थे। केंद्र से मिले निर्देशों में बाद विभागीय स्तर पर इसके लिए होमवर्क शुरू हो गया है।

सभी जिला उपनिदेशकों से स्कूलों में शिक्षकों की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। विभाग के मुताबिक 2963 के करीब शिक्षक ऐसे हैं, जो सरप्लस बताए जा रहे हैं। इनमें 1407 के करीब शिक्षक प्राइमरी और अप्पर प्राइमरी में हैं। इन शिक्षकों की नियुक्तियां वहां पर हैं, जहां पहले से पर्याप्त स्टाफ है। यानी एक ही विषय के दो शिक्षक हैं या फिर शिक्षक स्कूल के बजाय डेपुटेशन पर है। जबकि दर्जनों स्कूल ऐसे हैं जहां पर स्टाफ की कमी है। जेबीटी, टीजीटी, लेक्चरर्स से लेकर अन्य श्रेणियों के शिक्षक युक्‍तीकरण की जद में आएंगे।

पीएबी की बैठक में भी उठा था मुद्दा

समग्र शिक्षा अभियान की मई महीने में आयोजित प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में भी यह मामला उठा था। केंद्र ने कहा था कि प्रदेश के दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों के स्कूलों में विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाओं के साथ पर्याप्त संख्या में शिक्षक होने चाहिएं। केंद्र सरकार एसएसए को हर साल करोड़ों रुपये की ग्रांट जारी करती है। इसलिए सभी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक होने चाहिए। अब जब केंद्र वार्षिक ग्रांट की पहली किश्त जारी करने जा रहा है तो इस नियम को पूरा करने को कहा है।

30 विद्यार्थियों के लिए एक शिक्षक जरूरी

शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम की धारा 19(2) में स्पष्ट है कि प्रारंभिक स्कूलों में 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होना जरूरी है। 60 विद्यार्थियों के लिए दो शिक्षकों का होना अनिवार्य है, जबकि 90 बच्चों के लिए तीन शिक्षक होने चाहिएं। इसके अलावा स्कूलों में दस फीसद से ज्यादा रिक्‍त पद भी नहीं होने चाहिएं। केंद्र ग्रांट तभी जारी करता है जब नियम पूरे होते हैं।

केंद्र ने जारी किए निर्देश

राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा अभियान आशीष कोहली का कहना है केंद्र के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में शिक्षकों की स्थिति पर चर्चा हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे स्कूल जहां पर शिक्षक कम है वहां पर शिक्षकों को भेजने को कहा गया है। केंद्र से आए निर्देशों को लागू किया जाएगा।

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