मांगें पूरी न होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे प्राध्यापक

संवाद सहयोगी नूरपुर हिमाचल प्रदेश राजकीय कालेज प्राध्यापक संघ (एचजीसीटीए) के आह्वान पर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 10:13 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 10:13 PM (IST)
मांगें पूरी न होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे प्राध्यापक
मांगें पूरी न होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे प्राध्यापक

संवाद सहयोगी, नूरपुर : हिमाचल प्रदेश राजकीय कालेज प्राध्यापक संघ (एचजीसीटीए) के आह्वान पर पंजाब फेडरेशन आफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स की ओर से जारी आंदोलन के समर्थन में प्रदेशभर के प्राध्यापक यूजीसी पे-स्केल न देने और लंबित मांगें पूरी न होने के विरोध में काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन जारी रखेंगे।

एचजीसीटीए अध्यक्ष डा. धर्मवीर सिंह ने संघ की आनलाइन बैठक में कहा कि प्रदेश सरकार प्राध्यापक वर्ग की अनदेखी कर रही है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया से नियुक्त एचजीसीटीए कार्यकारिणी को प्रदेश सरकार प्राध्यापक वर्ग से संबंधित नीति निर्धारण की प्रक्रिया में शामिल नहीं करती है। उन्होंने कहा कि 1600 सदस्यीय प्राध्यापक संघ द्वारा बीते वर्षों में सरकार से विभिन्न मंचों पर रखी गई अनेक मांगें अभी भी लंबित हैं। इस कारण शिक्षकों में रोष है जो आने वाले समय में सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ जगजाहिर होगा। उन्होंने सरकार पर प्राध्यापक वर्ग को बांटने का भी आरोप लगाया।

एचजीसीटीए के महासचिव डा. रामलाल शर्मा ने कहा कि प्राध्यापकों के विभिन्न पद अनेक महाविद्यालयों में रिक्त हैं, अधोसरंचना की व्यापक कमी है, तो ऐसे माहौल में नई शिक्षा नीति कैसे लागू होगी। उन्होंने कहा कि यूजीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार प्राध्यापकों को सभी लाभ देने, सातवें यूजीसी पे-स्केल लागू करवाने के अलावा प्राचार्यों के पद शीघ्र भरे जाना, अनुबंध कार्यकाल का सेवा लाभ देना, पीएचडी और एमफिल की इंक्रीमेंट को भी बहाल करना, महाविद्यालयों में प्रोफेसर के पद सृजित करना आदि अनेक लंबित मांगों के समर्थन में प्राध्यापक वर्ग एकजुट होकर यह विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा। उन्होंने प्राचार्यों के पद शीघ्र भरे जाने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के 138 में से 85 महाविद्यालयों में नियमित प्राचार्य नहीं हैं, जबकि नैक से किसी भी प्रकार की मान्यता प्राप्त करने के लिए नियमित प्राचार्य का होना अपरिहार्य शर्त है। जिससे इन महाविद्यालयों को न कोई ग्रांट मिल सकती है और न ही किसी प्रकार की अधोसंरचना का विकास हो सकता है। डा. शर्मा ने पीएचडी सुपरविजन के लिए प्रदेश विश्विद्यालय पर भी भेदभाव के आरोप लगाते हुए पूछा कि भूगोल, अंग्रेजी और राजनीतिक शास्त्र जैसे कुछ विषयों के कुछ चुनिदा कालेज टीचर्स को ही कैसे यह अनुमति दी गई, और बाकियों को क्यों नहीं? एचजीसीटीए ने सभी प्राध्यापकों को आगामी दिनों के लिए रणनीति बनाने और एकजुट होकर हर स्तर के लिए तैयार रहने की अपील भी की।

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