सिविल अस्पताल जवाली को अग्निशमन यंत्रों का सहारा
डा. नवनीत शर्मा जवाली अग्निकांड होने पर सिविल अस्पताल जवाली को अग्निशमन यंत्रों का ही सहारा
डा. नवनीत शर्मा, जवाली
अग्निकांड होने पर सिविल अस्पताल जवाली को अग्निशमन यंत्रों का ही सहारा है। आलम यह है कि न तो यहां फायर हाइड्रेंट हैं और न ही अस्पताल परिसर में रेत से भरी बाल्टियां। हालांकि करीब 18 अग्निशमन यंत्र जरूर कार्यशील हैं लेकिन दो भवनों में चल रहे अस्पताल के लिए अग्निकांड के दौरान ये यंत्र कितने कारगर सिद्ध होंगे यह कहा नहीं जा सकता है। मौजूदा समय में 50 बेड वाले इस अस्पताल में रोजाना 200 से 300 मरीज ओपीडी के लिए आते हैं। इसके साथ ही करीब 10 से 12 मरीज अस्पताल में रोजाना भर्ती भी रहते हैं। अस्पताल पुराने और नए भवन में चल रहा है। नया भवन ओपीडी एवं टेस्ट सुविधा के लिए रखा गया है। पुराने भवन में मरीजों को आपातकाल की स्थिति में भर्ती किया जाता है। इन दोनों ही भवनों में 18 अग्निशमन यंत्र स्थापित कर दिए गए हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इन यंत्रों को हर साल बदला जाता है और समय-समय पर इनकी जांच भी की जाती है कि यह सही काम कर रहे हैं या नहीं। सबसे आवश्यक हाइड्रेंट सुविधा से अभी अस्पताल परिसर अछूता है।
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अस्पताल में अग्निशमन यंत्र तो लगाए गए हैं लेकिन फायर हाइड्रेंट नहीं हैं। इनकी सबसे ज्यादा अहमियत रहती है। इस दिशा में अस्पताल प्रशासन को कदम उठाने की जरूरत है।
-जगपाल सिंह
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जवाली के सिविल अस्पताल में अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं, लेकिन रेत की बाल्टियां कहीं भी दिखाई नहीं देती। एक अस्पताल में सभी प्रकार के प्रबंध होना आवश्यक है।
-कल्पना रानी विधायक ने अस्पताल को रोल मॉडल बनाने का प्रयास किया है और आगे भी सुविधाओं को उपलब्ध करवाया जा रहा है। उम्मीद है कि जो शेष सुविधाएं रह गई हैं वे जल्द पूरी होंगी।
-कुंदन सिंह
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50 बिस्तर के इस अस्पताल में 18 अग्निशमन यंत्र लगाना अपने आप में एक मिसाल है। हालांकि कुछ कमियां जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है। इस दिशा में भी जल्द आवश्यक कदम उठेंगे।
-बलदेव सिंह
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मौजूदा समय में अस्पताल में 18 अग्निशमन यंत्र हैं और समय-समय पर इनकी जांच भी करवाई जाती है। इसके साथ ही अस्पताल प्रशासन अन्य सुविधाओं पर भी ध्यान फोकस कर रहा है और इस बाबत जिला प्रशासन को अवगत करवाया जाता है।
-डा. अमन दुआ, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी जवाली।