संजीव ने जज्बे से पाया मुकाम, 20 अौर लोगों को भी दिया सहारा, जानिए कैसे कमा रहे सालाना 90 लाख रुपये

मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है। ऐसे ही एक युवा ने जज्बे और जुनून के साथ न केवल खुद स्वरोजगार की राह पकड़ी बल्कि 20 अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है।

By Edited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 08:00 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 08:08 AM (IST)
संजीव ने जज्बे से पाया मुकाम, 20 अौर लोगों को भी दिया सहारा, जानिए कैसे कमा रहे सालाना 90 लाख रुपये
रक्कड़ तहसील के तहत कुहना निवासी 36 वर्षीय संजीव शर्मा।

ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है। ऐसे ही एक युवा ने जज्बे और जुनून के साथ न केवल खुद स्वरोजगार की राह पकड़ी, बल्कि 20 अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है। यहां बात हो रही है रक्कड़ तहसील के तहत कुहना निवासी 36 वर्षीय संजीव शर्मा की। वह न केवल खुद सालाना लाखों की आय अर्जित कर रहे हैं, बल्कि अन्य लोगों का भविष्य भी संवार रहे हैं। संजीव सॉफ्टफोटोन वेब हाउस के नाम से सॉफ्टवेयर कंपनी चलाते हैं और इसका सालाना टर्नओवर 90 लाख रुपये है। संजीव जब सातवीं में पढ़ते थे तब ज्वालामुखी के एक निजी अस्पताल में काम करने वाले उनके पिता संत राम शर्मा घर की विपरीत परिस्थितियों के कारण नौकरी छोड़ आए थे।

लंबे समय से मानसिक तनाव की शिकार मा की तबीयत कब खराब हो जाए इसी डर से पिता ने नौकरी छोड़ दी थी लेकिन बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, वह घर पर ही गाववालों को बीमारी की हालत में मलम पट्टी कर परिवार पालने लगे। समय बीता और संजीव ने सीनियर सेकेंडरी स्कूल रक्कड़ से जमा दो तक की पढ़ाई पूरी कर ढलियारा कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। पढ़ाई में कुशल संजीव नॉन मेडिकल में स्नातक होने के बाद मन में जिद ठाने हुए थे कि उन्हें पिता के सपनों को पूरा करने के साथ खुद भी आत्मनिर्भर होना है। संजीव बताते हैं कि परिवार की आर्थिक तंगहाली के कारण उनके लिए आगे की पढ़ाई की मुश्किलें सामने दिख रही थी लेकिन सेना से सेवानिवृत्त ताया उनके उज्ज्वल भविष्य की खातिर मदद के लिए आगे आए। 2005 में बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद बीसीए की पढ़ाई के लिए जालंधर ले गए।

संजीव ने पंजाब विश्वविद्यालय से 2008 में एमसीए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में छह साल तक जॉब की लेकिन लगा कि उन्हें तो औरों को भी रोजगार देकर कुछ अलग करना है। वास्तव में 2000 की पगार से नौकरी शुरू करने वाले संजीव खुद से ही संतुष्ट नहीं थे तथा अपनी कंपनी बनाकर ऊंची उड़ान भरने का मन बना चुके थे। उन्होंने बैंक से 10 लाख का ऋण लेकर खुद की कंपनी शुरू करने की ठानी और कामयाब भी हुए। मोहाली में दो कमरों का किराये का फ्लैट लेकर काम शुरू कर दिया। इस समय संजीव सॉफ्टफोटोन वेब हाउस नाम की सॉफ्टवेयर कंपनी के मालिक हैं। उनकी कंपनी की 90 लाख की सालाना टर्नओवर है। उन्होंने 20 लोगों को भी आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाया है।

अमेरिका में है कंपनी का कारोबार

संजीव के अनुसार उनकी कंपनी का 95 फीसद कारोबार अमेरिका में है। यूरोप में भी उनका कारोबार जड़ें जमा चुका है। ऑस्ट्रेलिया व कनाडा में भी ग्राहक हैं। संजीव के अनुसार ग्राहक वहीं से ऑर्डर करते हैं।

यह काम करती है कंपनी

संजीव की कंपनी वेब और मोबाइल डेवलपमेंट तथा इंटरनेट मार्केटिंग का काम करती है। यूएसए समेत यूरोप में उनके कारोबार का जाल बिछा हुआ है।

दादा हैं रोल मॉडल

संजीव बताते हैं कि उनकी कामयाबी में पापा व ताया के अलावा स्वर्गीय दादा घुंगर राम का भी योगदान रहा है। दादा धाíमक प्रवृति के व्यक्तित्व थे और उन्होंने जीवन पर्यन्त ईमानदारी से आगे बढ़ने की शिक्षा दी।

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