12वीं कक्षा की छात्रा ओजस्विनी सचदेवा ने कविता के माध्यम से इस तरह बयां किया महिलाओं का दर्द

Student Ojswini Sachdeva कदम से कदम मिला रही आज वो हर मर्द से आंख मिलाती आज वो हर दर्द से है उसी से आज उसी से कल है। महिलाओं के दर्द और कुर्बानियों को ऐसी ही कविताओं के माध्यम से बयां किया है 12वीं कक्षा की छात्रा ओजस्विनी सचदेवा ने।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 01:33 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 01:33 PM (IST)
12वीं कक्षा की छात्रा ओजस्विनी सचदेवा ने कविता के माध्यम से इस तरह बयां किया महिलाओं का दर्द
गांधीनगर की 12वीं कक्षा की छात्रा ओजस्विनी सचदेवा

कुल्लू, कमलेश वर्मा। कदम से कदम मिला रही आज वो हर मर्द से, आंख मिलाती आज वो हर दर्द से है, उसी से आज उसी से कल है, हर मुश्किल का हल उसी के पास है। महिलाओं के दर्द और कुर्बानियों को ऐसी ही कविताओं के माध्यम से बयां किया है 12वीं कक्षा की छात्रा ओजस्विनी सचदेवा ने। गांधीनगर की ओजस्विनी सचदेवा ने पिछले साल कफ्र्यू के समय का उपयोग इस तरीके से किया है। ओजस्विनी ने अपने परदादा नानक और दादा युधिष्ठर के जीवनकाल पर आधारित पुस्तक 'उद्गम' और महिलाओं, बेटियों व सामाजिक मुद्दों को उजागर करती कविताओं पर आधारित 'मातृकंठ' पुस्तक लिखी। 'उद्गमÓ में भारत-पाकिस्तान के बीच बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आए उनके दादा के रिफ्यूजी होने के दर्द को अपने शब्दों में बयां किया है।

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ओजस्विनी बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक है। दादा की मृत्यू हो गई है। रिफ्यूजी होने का दंश परिवार को पहले और आज भी झेलना पड़ता है। दूसरी पुस्तक में महिलाओं, बेटियों व सामाजिक मुद्दों को उजागर किया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ओजस्विनी सचदेवा को जिलास्तरीय पुरस्कार भी मिला है। 'उद्गम' की अभी तक 550 व 'मातृकंठ' की 300 प्रतियां बिक चुकी हैं। ओजस्विनी पहले भी एक कविता संकलन प्रकाशित कर चुकी हैं।

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बेटी पर गर्व

पिता हितेश कुमार व माता भारती के अनुसार कविताओं के माध्यम से ओजस्विनी युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति बचाने, महिलाओं का सम्मान, 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का संदेश भी दे रही है। उन्हें गर्व है कि ओजस्विनी ने अपने दादा के दर्द को शब्दों में पिरोकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

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