प्रदेश में राजकीय प्राध्यापक संघ मांगों के समर्थन में जारी रखेगा प्रदर्शन

प्रदेश राजकीय कॉलेज प्राध्यापक संघ के आह्वान पर प्रदेश भर के महाविद्यालयों के सभी प्राध्यापक यूजीसी पे- स्केल न देने और प्रदेश सरकार द्वारा लंबित उनकी अनेक मांगे न माने जाने के विरोध में काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन ज़ारी रखेंगे।

By Richa RanaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 01:29 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 01:29 PM (IST)
प्रदेश में राजकीय प्राध्यापक संघ मांगों के समर्थन में जारी रखेगा प्रदर्शन
राजकीय कॉलेज प्राध्यापक संघ काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन ज़ारी रखेंगे।

नूरपुर, संवाद सहयोगी। हिमाचल प्रदेश राजकीय कॉलेज प्राध्यापक संघ (एचजीसीटीए) के आह्वान पर पंजाब फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स द्वारा जारी आंदोलन के समर्थन में प्रदेश भर के महाविद्यालयों के सभी प्राध्यापक यूजीसी पे- स्केल न देने और प्रदेश सरकार द्वारा लंबित उनकी अनेक मांगे न माने जाने के विरोध में काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन ज़ारी रखेंगे।

एचजीसीटीए अध्यक्ष डॉ धर्मवीर सिंह ने संघ की वर्चुअल बैठक में कहा कि प्रदेश सरकार पर प्राध्यापक वर्ग के साथ अनदेखी के आरोप लगाते हुए कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से नियुक्त एचजीसीटीए कार्यकारिणी को प्रदेश सरकार प्राध्यापक वर्ग से संबंधित नीति निर्धारण की प्रक्रिया में शामिल नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि 1600 सदस्यीय प्राध्यापक संघ द्वारा बीते वर्षों में सरकार से विभिन्न मंचो पर रखी गई अनेक मांगे अभी भी लंबित पड़ी हुई हैं, जिस कारण शिक्षक समुदाय में व्यापक रोष पनप रहा है जो आने वाले समय में अनिवार्य रूप से सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ जगजाहिर होगा। उन्होंने सरकार पर प्राध्यापक वर्ग को बांटने का भी आरोप लगाया।

एचजीसीटीए के महासचिव डॉ. रामलाल शर्मा ने विस्तृत विवरण देते हुए कहा की प्राध्यापकों के विभिन्न पद अनेक महाविद्यालयों में रिक्त पड़े हैं, अधोसरंचना की व्यापक कमी है, तो ऐसे माहौल में नई शिक्षा नीति कैसे लागू होगी। उन्होंने कहा कि यूजीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार प्राध्यापकों को सभी लाभ देने, सातवें यूजीसी पे-स्केल लागू करवाने के अलावा प्राचार्यों के पद शीघ्र भरे जाना, अनुबंध कार्यकाल का सेवा लाभ देना, पीएचडी और एमफिल की इंक्रीमेंट को भी बहाल करना, महाविद्यालयों में प्रोफेसर के पद सृजित करना आदि अनेक लंबित मांगों के समर्थन में प्राध्यापक वर्ग एकजुट होकर यह विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा।

उन्होंने प्राचार्यों के पद शीघ्र भरे जाने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के 138 में से 85 महाविद्यालयों में नियमित प्राचार्य नहीं हैं, जबकि एनएएसी ( नैक ) से किसी भी प्रकार की मान्यता प्राप्त करने के लिए नियमित प्राचार्य का होना अपरिहार्य शर्त है। जिससे इन महाविद्यालयों को न कोई ग्रांट मिल सकती है और न ही किसी प्रकार की अधोसंरचना का विकास हो सकता है। डॉ. शर्मा ने पीएचडी सुपरविजन के लिए प्रदेश विश्विद्यालय पर भी भेदभाव के आरोप लगाते हुए पूछा कि भूगोल, अंग्रेजी और राजनीतिक शास्त्र जैसे कुछ विषयों के कुछ चुनिंदा कॉलेज टीचर्स को ही कैसे यह अनुमति दी गई, और बाकियों को क्यों नहीं?

वहीं एचजीसीटीए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. संजय जसरोटिया ने अनुबंध कार्यकाल का सेवा लाभ देने की मांग करते हुए कहा कि यूजीसी भी अनुबंध कार्यकाल का सेवा लाभ देने की मान्यता देती है, वहीं प्रदेश विश्विद्यालय भी अनुबंध कार्यकाल को सिनियोरिटी के लिए स्वीकार करता है, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से महाविद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों को इसका कोई लाभ नहीं दिया जा रहा। महाविद्यालयों में प्रोफेसर के पद सृजित करने की मांग करते हुए प्रो. जसरोटिया ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में एसोसिएट प्रोफेसर बनने के बाद महाविद्यालय में एक अध्यापक के लिए करियर एडवांसमेंट के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।

एचजीसीटीए ने सभी प्राध्यापकों को आगामी दिनों के लिए रणनीति बनाने और एकजुट होकर हर स्तर के लिए तैयार रहने की अपील भी की। इस अवसर पर इनके अलावा एचजीसीटीए उपाध्यक्ष डॉ ओपी ठाकुर, सह सचिव प्रोफेशनल डॉ सतीश ठाकुर और सह सचिव एकेडमिक डॉ अनित शर्मा, प्रोफेसर अल्का, डॉ पीएल भाटिया, डॉ रमेश ठाकुर ,प्रोफेसर रविंद्र डोगरा, प्रोफेसर पर्ल बक्शी, प्रोफेसर भारती भगसेन, प्रोफेसर यजुविंद्र गिरी भी वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे।

chat bot
आपका साथी