प्रदेश उच्‍च न्‍यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक बागपत के खिलाफ जारी किया अवमानना नोटिस

प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने आदेशों की अनुपालना न करने वाले जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक बागपत उत्तर प्रदेश को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त आदेश पर अमल नहीं किया गया है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 05:48 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 05:48 PM (IST)
प्रदेश उच्‍च न्‍यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक बागपत के खिलाफ जारी किया अवमानना नोटिस
प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक बागपत को अवमानना नोटिस जारी किया है।

शिमला, जागरण संवाददाता। प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने आदेशों की अनुपालना न करने वाले जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक बागपत, उत्तर प्रदेश को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त आदेश पर अमल नहीं किया गया है। इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि बागपत के जिलाधिकारी और बागपत के पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा करने से इंकार कर कोर्ट के आदेश पर बैठने का फैसला किया है।

मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पाया कि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना करने के लिए मामला प्रदेश पुलिस विभाग ने उत्तर प्रदेश के संबंधित जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक बागपत के समक्ष उठाया था। उन्होंने न्यायालय के आदेशों के बावजूद अभी भी यह सुनिश्चित नहीं किया है कि याचिकाकर्ता को पैरोल पर किया जाए। न्यायालय ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को 21 दिनों की अवधि के लिए पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने आदेशों में स्पष्ट किया था चूंकि याचिकाकर्ता बिजरोले, तहसील बड़ौत, जिला बागपत (यू.पी.) का निवासी है, इसलिए उसे अपने निजी मुचलके के अलावा, अपनी मां या अपने परिवार के किसी करीबी सदस्य का जमानती के तौर पर बांड पेश करना होगा। कोर्ट ने 21 दिनों की पैरोल की समाप्ति पर, याचिकाकर्ता को जेल अधीक्षक, मॉडल सेंट्रल जेल नाहन, जिला सिरमौर (हि.प्र.) के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश जारी किए थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि याचिकाकर्ता पैरोल आदेश की किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है और/या कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करता है, तो पैरोल रद्द की जा सकती है। इसे उसके समान भविष्य के अनुप्रयोगों पर विचार करने के लिए एक नकारात्मक कारक के रूप में भी माना जाएगा।

मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में कोर्ट ने प्रथम दृष्टया में पाया कि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक, बागपत दोनों ही जानबूझकर हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करते हुए रिहा नहीं करने के दोषी हैं। कोर्ट ने आदेश दिए कि सुनवाई की अगली तारीख पर "अदालतों की अवमानना ​​के फॉर्म-I (हिमाचल प्रदेश नियम, 1996)" के संदर्भ में दोनों अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता वाले नोटिस जारी करे। 25.08.2021 को उक्त दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने के आदेश दिए गए हैं। न्यायालय के आदेशों की अनुपालना के लिए आदेश की प्रति फैक्स द्वारा डीजीपी तथा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार को ई-मेल द्वारा भेजने के आदेश जारी किए है।

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