धर्मशाला में काम नहीं आया कांग्रेस का दांव

दिनेश कटोच धर्मशाला नगर निगम धर्मशाला में महापौर व उपमहापौर के पद हासिल कर भाजपा ने दब

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 04:00 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 04:00 AM (IST)
धर्मशाला में काम नहीं आया कांग्रेस का दांव
धर्मशाला में काम नहीं आया कांग्रेस का दांव

दिनेश कटोच, धर्मशाला

नगर निगम धर्मशाला में महापौर व उपमहापौर के पद हासिल कर भाजपा ने दबदबा बनाया है। हालांकि मुख्यमंत्री को दोनों चेहरे तय करने के लिए धर्मशाला आना पड़ा। दूसरी ओर कांग्रेस ने महापौर पद के लिए लड़ाई तो नहीं लड़ी लेकिन उपमहापौर पद के लिए पूर्व महापौर देवेंद्र जग्गी पर दांव तो खेला पर काम नहीं आया।

अंदरखाते यह सहमति बनी थी कि ओंकार नैहरिया को महापौर पद पर बिठाने के लिए चाहे वह कांग्रेस हो या फिर भाजपा सभी सहयोग देंगे। दूसरी ओर उपमहापौर पद के लिए कांग्रेस का साथ भी दिया जाएगा। इसी रणनीति के तहत भाजपा के सर्व चंद के खिलाफ पूर्व महापौर देवेंद्र जग्गी भी उतरे। यह समीकरण कांग्रेस ने इसलिए बनाए थे कि क्योंकि पूर्व में कांग्रेस शासनकाल में भाजपा की नगर निगम में तीन ही सीटें होने के बावजूद ओंकार नैहरिया कांग्रेस के पार्षदों के सहयोग से ही उपमहापौर बने थे। इस बार कांग्रेस के पार्षदों में यह अंदरखाते बात हुई थी कि नैहरिया के खिलाफ कांग्रेस का कोई भी दावेदार नहीं होगा और उपमहापौर के लिए देवेंद्र जग्गी का सभी साथ देंगे लेकिन हुआ इसके विपरीत। चुनाव में जोड़तोड़ की राजनीति रही। कांग्रेस के पांच पार्षद जीते थे और दो उनके पुराने साथी आजाद रूप से इस बार चुनाव जीत कर आए थे। उपमहापौर पद के लिए कांग्रेस अपने सात पार्षदों समेत भाजपा से भी सहयोग की आस में थी, लेकिन कांग्रेस से एक पार्षद छिटक गया और उसने भाजपा के सर्व चंद के पक्ष में मतदान किया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ बैठक के दौरान भाजपा से जुड़े 10 ही पार्षद थे और ये सभी नगर निगम चुनाव प्रभारी राकेश पठानिया के साथ कैबिनेट हॉल पहुंचे। इसके बाद पूर्व महापौर देवेंद्र जग्गी कांग्रेस के पार्षदों समेत एक आजाद को लेकर पहुंचे। एक अन्य आजाद पार्षद स्वर्णा देवी अकेले ही आईं और सीधे भाजपा के खेमे में गई। शपथ के बाद चुनाव के लिए पार्षदों में मंत्रणा हुई तो उन्होंने कांग्रेस के पार्षदों का साथ नहीं छोड़ा। ऐसे में जब कांग्रेस के पास सात पार्षद थे तो कौन भाजपा के उपमहापौर पद के लिए वोट डाल गया। इसे लेकर कांग्रेस में शक की सुई अपनों पर ही है।

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