श्रीकंठ चौधरी ने कहा ओबीसी के बच्चों पर अत्याचार बंद करे सरकार
ब्लॉक कार्यकारिणी ओबीसी के कई समुदायों की राज्य कार्यकारिणियों और कई ओबीसी संगठनों ने नीट में ओबीसी के बच्चों की भारत के विभिन्न मेडिकल कॉलजों में 11000 सीटों को खत्म करने और जनगणना में ओबीसी की जनगणना एससी एसटी की तर्ज पर न करवाने पर कड़ा विरोध किया है।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। क्षत्रिय घृत वाहती चाहंग महासभा की राज्य कार्यकारणी के सदस्य, जिला कार्यकाराणियों, ब्लॉक कार्यकारिणी, ओबीसी के कई समुदायों की राज्य कार्यकारिणियों और कई ओबीसी संगठनों ने नीट में ओबीसी के बच्चों की भारत के विभिन्न मेडिकल कॉलजों में 11000 सीटों को खत्म करने और जनगणना में ओबीसी की जनगणना एससी एसटी की तर्ज पर न करवाने पर कड़ा विरोध किया है।
क्षत्रिय घृत वाहती चाहंग महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री कठं चौध्ारी ने कहा कि कोई भी सरकार जब बनती है वह भारत के संविधान की शपथ लेती है कि वह संविधान की रक्षा करेगी और संविधान के अनुसार काम करेगी। परंतु नीट में ओबीसी के बच्चों को मेडिकल कालजों में 27प्रतिशत आरक्षित, 11000 सीटों को खत्म करना संविधान की अपमानना है और इसमें भाजपा सरकार की सरेआम तानाशाही है।
ओबीसी के बच्चों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन और मंडल कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा व राज्यसभा में लंबे तर्क वितर्क उपरांत संविधान में 93वां संशोघन लाकर यह 27 प्रतिशत रिज़रवेशन ओबीसी को वर्ष 2005 में दी गई थी। बाद में सामान्यवर्ग ने सुप्रीमकोर्ट में इसके विरूद्ध याचिका दायर कर दी। उस याचिका की पूरी सुनवाई के बाद सुप्रीमकोर्ट के फैसले अनुसार रिज़रवेशन इन ऐजुकेशन इंस्टीट्यू एक्ट 2006 के तहत ओबीसी के बच्चों को नीट में 27 फीसद दाखिले में 11000 सीटे भारतवर्ष के सभी मेडिकल काॅलजों में मिली थी।
परंतु सरकार ने इसे ओबीसी के साथ अन्याय करते हुए,और संविधान का अपमान करके खत्म करने का तानाशाही फैसला किया है। समस्त ओबीसी वर्ग और एससी समाज सरकार का ध्यान आकार्षित करते हुए ,तुरन्त इस तानाशाही फैसले को वापस लेने का अनुरोघ करता है। अगर सरकार ओबीसी की नीट में सीटे 93वें संविघान सशोघनं के अनुसार बहाल नही करती है तो इसके परिणाम गंभीर होंगे।