बारिश की फुहार र‍बी फसलों के लिए संजीवनी, बागवानों के अरमानों पर फेरा पानी, जानिए विशेषज्ञों की राय

Rain Effect on Crops हिमाचल प्रदेश में तापमान बढऩे के बाद शुक्रवार रात और शनिवार से खराब हुए मौसम के तेवरों ने बागवानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। यह अलग बात है कि रबी की फसलों के लिए संजीवनी के तौर पर बारिश की बूंदें पड़ी हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 07:36 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 07:41 AM (IST)
बारिश की फुहार र‍बी फसलों के लिए संजीवनी, बागवानों के अरमानों पर फेरा पानी, जानिए विशेषज्ञों की राय
तापमान बढऩे के बाद खराब हुए मौसम के तेवरों ने बागवानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। हिमाचल प्रदेश में तापमान बढऩे के बाद शुक्रवार रात और शनिवार से खराब हुए मौसम के तेवरों ने बागवानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। यह अलग बात है कि रबी की फसलों के लिए संजीवनी के तौर पर बारिश की बूंदें पड़ी हैं। इन दिनों गर्म इलाकों में बादाम, प्लम, खुमानी व आडू़ के पौधों में फूल पड़ गया है। ऐसे में बारिश ने तापमान को गिराया है और बारिश के कारण फूल झड़ गए हैं, इससे इन फलों की पैदावार प्रभावित होगी। विशेषज्ञों की मानी तो बारिश और तापमान में गिरावट आने से मित्र कीट कम काम करते हैं और ऐसे में फलों की सेटिंग प्रभावित होती है जिसका असर आने वाले समय में पड़ सकता है।

फरवरी माह में लगातार तेज धूप के कारण न्यूनतम तापमान व अधिकतम तापमान सामान्य से पांच से सात डिग्री अधिक दर्ज किए गए थे। शुक्रवार की बारिश के बाद न्यूनतम तापमान में तीन से चार डिग्री तक की गिरावट आई है। इस सीजन में कम बारिश होने के कारण रबी की फसलें प्रभावित हुई थी और हमीरपुर सहित कई स्थानों पर तो किसानों ने गेहूं को पहले ही काटना शुरु कर दिया था। इस बारिश से कुछ राहत अवश्य मिली है लेकिन इसे कृषि फसलों के लिए बहुत कम बताया जा रहा है।

फरवरी में सामान्य से 83 फीसद कम बारिश

प्रदेश में फरवरी माह में सामान्य से 83 फीसदी कम बारिश हुई है। इसी का असर कृषि फसलों पर पड़ा है। प्रदेश के आठ जिले बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा, लाहुल स्पीति, मंडी में फरवरी माह में अस्सी फीसदी से कम बारिश हुई है। प्रदेश में  फरवरी माह में मात्र 17.5 मीलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है जबकि सामान्य तौर पर 105 मिलीमीटर वर्षा होती है।

सेब की चिलिंग ऑवर हो जाएंगे पूरे

सेब के चिलिंग ऑवर कई क्षेत्रों में अभी पूरे नहीं हुए हैं हालांकि आने वाले समय में इनके पूरे हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है। सेब के लिए चिलिंग ऑवर उसकी किस्मों पर निर्भर करते हैं। नई आधुनिक किस्में जैरोमाइन, गाला, रेड विलोक्स, अन्ना के लिए 200 घंटों से 600 घंटों तक चिलिंग ऑवर की आवश्यकता होती है जिसमें न्यूनतम तापमान 5 डिग्री तक रहना चाहिए यह तापमान जितने घंटों तक रहता है उतने चिलिंग ऑवर माने जाते हैं। सेब की पुरानी किस्मों रॉयल, रेड डिलिशियस व अन्य के लिए 1200 से 1600 घंटे के चिलिंग ऑवर की आवश्यकता है।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ बागवानी विभाग के निदेशक डाक्‍टर जेपी शर्मा का कहना है गर्मी के बाद बारिश के कारण तापमान में आई गिरावट और बादाम, प्लम, खुमानी आदि के पौधों में फूल आने पर बारिश होने और तापमान में गिरावट से नुकसान होगा। सेटिंग में अंतर आता है जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। जहां तक सेब के चिलिंग ऑवर की बात है नई किस्मों के लिए कोई ज्यादा प्रभाव नहीं है पुरानी किस्मों के कुछ स्थानों पर अभी चिलिंग ऑवर पूरे नहीं हुए हैं लेकिन हो जाएंगे। कृषि विभाग के निदेशक डाक्‍टर नरेश कुमार का कहना है बारिश रबी की फसलों के लिए संजीवनी है पर बहुत कम वर्षा हुई है, इससे जहां पर गेहूं, मटर व अन्य सब्जियों को लगातार गर्मी व सूखे के कारण नुकसान हो रहा था कुछ राहत अवश्य मिली है।

chat bot
आपका साथी