जेपी नड्डा की सुरक्षा में चूक पर एसपी बिलासपुर आज सौंपेंगे डीजीपी संजय कुंडू को रिपोर्ट, पढ़ें पूरा मामला
Lapse in JP Nadda Security भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सुरक्षा में हुई चूक पर बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) एसआर राणा से डीजीपी संजय कुंडू ने रिपोर्ट तलब की है। डीजीपी ने उन्हें 24 घंटे के भीतर मामले को लेकर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
बिलासपुर, जागरण संवाददाता। Lapse in JP Nadda Security, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सुरक्षा में हुई चूक पर बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) एसआर राणा से डीजीपी संजय कुंडू ने रिपोर्ट तलब की है। डीजीपी ने उन्हें 24 घंटे के भीतर मामले को लेकर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। एसपी बिलासपुर आज रिपोर्ट सौंपेंगे। इसके साथ ही एडीजीपी (कानून-व्यवस्था)अशोक तिवारी को मामले की जांच करने के लिए कहा गया है। उन्हें जांच रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर सौंपनी होगी। एम्स में ओपीडी शुरू होने के मौके पर नड्डा एक दिवसीय दौरे पर बिलासपुर पहुंचे थे।
लुहणू मैदान में उनका हेलिकाप्टर उतरने के बाद पुलिस विभाग के कर्मचारियों के स्वजन थोड़ी दूरी पर एकत्र होने शुरू हो गए। कुछ ने जस्टिस फार एचपी पुलिस के बैनर पकड़े हुए थे। काफिला जैसे ही लुहणू मैदान से एम्स की तरफ जाने लगा तो कुछ स्वजन ने पोस्टर दिखाए ओर काफिले की तरफ सुरक्षा घेरा तोड़कर बढ़ गए। काफिला रुकने पर उन्होंने मांगपत्र ले लिया।
स्वजन का कहना था कि सभी विभागों में कार्यरत लोगों का अनुबंधकाल कम किया गया है, लेकिन पुलिस कर्मचारियों को राहत नहीं दी गई। अब उन्हें केंद्र सरकार से उम्मीद है, इसलिए उन्होंने नड्डा को ज्ञापन सौंपा। जिला पुलिस ने 10 लोगों को थाने में तलब किया था, लेकिन उन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है। इनमें छह नालागढ़, दो सोलन और दो बिलासपुर जिला से संबंधित थे।
हैरानी की बात यह है कि कई आतंकी संगठनों की धमकियों और जेड प्लस सिक्योरिटी होने के बावजूद कुछ लोग काफिले तक पहुंचे और जस्टिस फार एचपी पुलिस के पोस्टर दिखाए। जैसे ही उन्हें देखकर नड्डा की गाड़ी रुकी तो काफी संख्या में लोगों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया। सुरक्षा घेरे में हुई चूक की गाज किसी अधिकारी पर गिरना तय माना जा रहा है।
क्या कहते हैं एसपी
एसपी बिलासपुर एसआर राणा का कहना है पुलिस विभाग के कर्मचारियों के कुछ स्वजन ने जेपी नड्डा का काफिला रोका था। इसकी जानकारी उन्होंने पुलिस विभाग को नहीं दी थी। ऐसे 10 लोगों को पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया था और उसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया।