Himachal Byelectionःजनजातीय क्षेत्रों में बर्फबारी ने बढ़ाई निर्वाचन आयोग की चिंता

मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के प्रचार में बर्फबारी व बारिश बाधा बन गई है। कई मतदान केंद्र बर्फबारी की जद में आने से निर्वाचन आयोग की चिंता बढ़ गई है। नेताओं व कार्यकर्ताओं को भी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के चलते मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 11:30 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 11:30 PM (IST)
Himachal Byelectionःजनजातीय क्षेत्रों में बर्फबारी ने बढ़ाई निर्वाचन आयोग की चिंता
लाहुल-स्पीति में ताजा हिमपात। इससे घाटी का संपर्क कट गया है।

हंसराज सैनी, मंडी। मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के प्रचार में बर्फबारी व बारिश बाधा बन गई है। जनजातीय क्षेत्रों के कई मतदान केंद्र बर्फबारी की जद में आने से निर्वाचन आयोग की चिंता बढ़ गई है। नेताओं व कार्यकर्ताओं को भी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के चलते मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। मंडी संसदीय क्षेत्र में 3000 से 15,256 फीट की ऊंचाई पर 21 मतदान केंद्र हैं। इनमें 15,256 फीट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र टशीगंग (लाहुल-स्पीति) भी शामिल है।

जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति, भरमौर, पांगी व किन्नौर में बर्फबारी का दौर शुरू हो चुका है। सोमवार को इन क्षेत्रों में सीजन की पहली बर्फबारी हुई है। बर्फबारी का यह दौर आने वाले दिनों में इसी तरह जारी रहने की संभावना जताई जा रही है। इससे मतदान केंद्रों को जोडऩे वाले मार्ग बंद हो सकते हैं। कुल्लू जिले के मनाली, बंजार, आनी, शिमला के रामपुर, मंडी के सराज, नाचन व करसोग हलके में अनेक ऐसे मतदान केंद्र हैं जहां बर्फबारी होती है। 14 हलकों में 40 ऐसे मतदान केंद्र हैं जहां पोङ्क्षलग पार्टियों को मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए तीन से 20 किलोमीटर तक का सफर पैदल तय करना होगा। कुल्लू जिले के बंजार हलके के शाक्टी मतदान केंद्र के लिए सबसे अधिक 20 किलोमीटर पैदल चलना होगा।

भरमौर हलके के अहल्मी व कुल्लू के गराहण के लिए 12-12 किलोमीटर पैदल रास्ता है। बर्फबारी की वजह से पोलिंग पार्टियों को पैदल इन मतदान केंद्रों तक पहुंचने में खासी मशक्कत करनी होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव मई में हुए थे। उस दौरान भी लाहुल-स्पीति के कई मतदान केंद्र बर्फ से ढके थे। मतदान केंद्रों व उनको जोडऩे वाले रास्तों से बर्फ हटाने में प्रशासन को कई दिन का समय लगा था। हालांकि अभी मतदान के लिए 12 दिन का समय है। अगर दुर्गम क्षेत्रों में बर्फबारी का दौर ऐसा ही रहा तो वोटरों को घर से निकालना राजनीतिक दलों के लिए चुनौती होगा।

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