Snowfall in Manali, पर्यटन नगरी मनाली में माल रोड पर 25 साल बाद बर्फबारी, लाहुल घाटी में लगे ढेर
Snowfall in Manali पर्यटन नगरी मनाली में 25 साल के बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह में बर्फबारी हुई है। लाहुल सहित रोहतांग सोलंगनाला में अप्रैल मई महीने में बर्फ़बारी होना आम बात है लेकिन पर्यटन नगरी मनाली में इससे पहले 11 अप्रैल 1996 को बर्फ के फाहे गिरे थे।
मनाली, जसवंत ठाकुर। पर्यटन नगरी मनाली में 25 साल के बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह में बर्फबारी हुई है। हालांकि लाहुल सहित रोहतांग, सोलंगनाला व मनाली के ऊंचाई वाले पर्यटन स्थलों में अप्रैल मई महीने में बर्फ़बारी होना आम बात है लेकिन पर्यटन नगरी मनाली में इससे पहले 11 अप्रैल 1996 को बर्फ के फाहे गिरे थे। सर्दियों में नाममात्र बर्फबारी ने बागवानों की चिंता बढ़ाई थी लेकिन अब वेमौसमी बर्फबारी ने बागवानों की नींद उड़ा दी है। इस बर्फबारी से सबसे अधिक नुकसान बागवानों को उठाना पड़ा है। कोविड़ के कारण इस बार पर्यटकों की आमद न के बराबर है।
पर्यटन कारोबारियों के लिए भी यह बर्फ़बारी कोविड़ के कारण लाभकारी नही हो पाई है। इन दिनों मनाली का समर सीजन जोरों से चल रहा होता था लेकिन इस साल नाम मात्र पर्यटक ही मनाली में हैं। मनाली के पर्यटन स्थल भी बर्फ से लद गए हैं लेकिन पर्यटकों के बिना सभी पर्यटन स्थल सुने हैं।
लाहुल घाटी में पिछले चार दिनों से बर्फ बारी हो रही है। ऊंचाई वाले ग्रामीण क्षेत्रों में डेढ़ से दो फीट बर्फ पड़ चुकी है। समस्त लाहुल स्पीति में भारी बर्फ बारी का दौर जारी है। जिला कुल्लू के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी बर्फबारी हो रही है। घाटी के बागवान हुक्म, ओम प्रकाश, लुदर, डोले राज, चुनी व सर्वदयाल ने बताया कि यह बर्फबारी सेब की फसल के लिए नुकसान दायक है। उन्होंने बताया कि सर्दियों में कम बर्फबारी हुई है जिससे नुकसान कम हुआ था लेकिन इस समय बर्फ़बारी होने से सेब को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कोविड़ के कारण पहले ही हालात बहेतर नही चल रहे है। अब बेमौसमी बर्फ़बारी ने उनकी दिक्कत को दोगुना किया है।