भूवैज्ञानिकों का आकलन, चूना पत्थर के लिए हुए खनन से खिसका सिरमौर का पहाड़
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़ की तीन सदस्य टीम ने पांवटा साहिब-शिलाई-हाटकोटी राष्ट्रीय-राजमार्ग 707 पर गत दिनों हुए भूस्खलन का अध्ययन कार्य पूरा कर लिया है। अध्ययन टीम ने बताया कि यह पाया गया की भूस्खलन स्थल पर पहले चूना पत्थर के लिए माइनिंग होती रही है।
नाहन, जागरण संवाददाता। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़ की तीन सदस्य टीम ने पांवटा साहिब-शिलाई-हाटकोटी राष्ट्रीय-राजमार्ग 707 पर गत दिनों हुए भूस्खलन का अध्ययन कार्य पूरा कर लिया है। अध्ययन टीम का नेतृत्व कर रहे निदेशक इंजीनियरिंग भूविज्ञान मनोज कुमार ने बताया कि अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि भूस्खलन स्थल पर पहले चूना पत्थर के लिए माइनिंग होती रही है। इसलिए यह संभावना प्रबल है कि उस क्षेत्र की भूमि को इसी कारण क्षति पहुंची होगी और भूस्खलन से दो दिन पहले हुई तेज बारिश के रिसाव से पहाड़ का कुछ हिस्सा अपनी जगह से खिसक गया।
टीम ने अध्ययन में पाया है कि सड़क की मौजूदा अलाइनमेंट पर ही पहाड़ की कटाई और खाली हिस्से को भरने से रोड को पुन: बनाया जा सकता है। इस कार्य से बड़वास गांव को भी कोई खतरा नहीं होगा। भूविज्ञानी पी. जगन व सहायक भूविज्ञानी ए. पुनिया सहित भूस्खलन स्थल का मंगलवार और बुधवार को दौरा कर गहन अध्ययन कर उपायुक्त से उनके कार्यालय में मुलाकात कर वस्तुस्थिति से अवगत करवा दिया है।
उपायुक्त सिरमौर राम कुमार गौतम ने टीम को बताया कि जहां भूस्खलन हुआ था, उसी जगह फिर से रोड निकाला जा सकता है। इसके अतिरिक्त टीम ने यह भी बताया कि सड़क निर्माण कार्य से बड़वास गांव को कोई खतरा नहीं होगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय/राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रोड को एक सप्ताह में एक तरफ से यातायात के लिए चालू करने का आश्वासन दिया है। रामकुमार गौतम ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि जब इस रोड का कार्य शुरू होगा, तो इस कार्य में पूरा सहयोग दें।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले सिरमौर जिले पांवटा साहिब-शिलाई-हाटकोटी राष्ट्रीय-राजमार्ग 707 पर देखते ही देखते पहाड़ दरक गया था और अपने साथ 150 मीटर के करीब सड़क को भी बहा ले गया था। हादसे में जानी नुकसान नहीं हुआ था लेकिन लोगों को पांच घंटे तक परेशान होना पड़ा था।