सिम बंद हो तो तत्काल संबंधित कंपनी को दें सूचना, सिम स्वैप से साइबर सेल ने किया आगाह, एडवायजरी जारी
Sim Swaping Fraud हैकर्स ने सिम स्वैपिंग से ऑनलाइन ठगी का नया तरीका ढूंढा है। इसके माध्यम से व्यक्ति को पता भी नहीं चलता है और खाते से पूरी राशि निकाल ली जाती है। जब तक लूट का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। Sim Swaping Fraud, हैकर्स ने सिम स्वैपिंग से ऑनलाइन ठगी का नया तरीका ढूंढा है। इसके माध्यम से व्यक्ति को पता भी नहीं चलता है और खाते से पूरी राशि निकाल ली जाती है। जब तक लूट का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। वर्तमान में सिम स्वैपिंग कर हैकर्स धोखाधड़ी कर रहे हैं। इसमें वे आपके मोबाइल नंबर से दूसरा सिम हासिल करके धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं। हालांकि, कुछ सावधानियां अपनाकर आप इनसे खुद को बचा सकते हैं। इस संबंध में सीआइडी के साइबर सेल ने एडवायजरी जारी की है। इसमें साइबर ठगों से सावधान रहने को कहा गया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर ने इसकी पुष्टि की है।
25 लाख की ठगी का सामने आया था मामला
हिमाचल में इस तरह की ठगी का एक मामला सामने आया था। इसमें पिछले साल फरवरी में साइबर थाना की पुलिस ने बिहार और बंगाल के दो ठगों को गिरफ्तार किया था। ये 25 लाख की ठगी में संलिप्त थे। आरोपित अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।
कैसे काम करता है सिम स्वैप
आपके मोबाइल नंबर से दूसरा सिम लेने की प्रकिया ही सिम स्वैप कही जाती है। ऐसा हम तब करते हैं, जब हमारी पुरानी सिम खराब हो गई होती है और उसका मोबाइल नंबर सभी दस्तावेजों में दर्ज होता है। तब हम सिम ऑपरेटर से उसी नंबर की दूसरी सिम जारी करने को कहते हैं। धोखाधड़ी करने वाले इंटरनेट मीडिया या डार्क वेब जहां बहुत सस्ते में सूचनाएं उपलब्ध हैं, वहां से आपका मोबाइल नंबर हासिल करते हैं। इसके बाद साइबर हमला कर आपका फोन बंद कर दिया जाता है। फोन बंद करने के बाद मोबाइल फोन खोने, हैंडसेट या सिम के टूट जाने का बहाना बनाकर हैकर्स मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क करते हैं और नया सिम जारी करने को कहते हैं।
सिम मिलने के बाद आसानी से होता है लेन-देन
एक बार जब दूरसंचार कंपनी आपकी बजाय हैकर्स को सिम दे देती है। तब उनके लिए आपके खाते से पैसे निकालना बहुत आसान हो जाता है। हैकर्स आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की मदद से बैंक की पूरी जानकारी निकाल लेते हैं और ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड की मदद से बैंक से पूरे पैसे भी निकाल लेते हैं।
साइबर हमले से मिलती है खाते की जानकारी
फिशिंग, ट्रोजन या मैलवेयर के माध्यम से हैकर आपके बैंक अकाउंट और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की जानकारी पाते हैं। इसके लिए एसएमएस या ईमेल का इस्तेमाल करते हैं। कई बार इंटरनेट मीडिया पर मैसेज भेजकर भी वह इस काम को अंजाम देते हैं।
बचने की सलाह
इंटरनेट मीडिया पर मोबाइल नंबर या ईमेल जैसी जानकारी सार्वजनिक करने से बचें। किसी अनजान कॉल पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे जन्म तिथि, बैंक खाता नंबर, आधार नंबर आदि देने से भी बचना चाहिए।
मोबाइल फोन में यदि काफी समय से नेटवर्क नहीं आ रहा या एसएमएस नहीं आ रहा है तो तुरंत दूरसंचार कंपनी के कस्टम केयर पर संपर्क करें और इसकी वजह जानें।