दो दोस्त दूसरा साल, पेश कर रहे मानवता की मिसाल, महामारी के दौर में बेसहारा का बने सहारा

Shimla Two Friends कोरोना महामारी के मुश्किल वक्त में शिमला के दो दोस्त मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं। पिछले साल की तरह इस साल भी शिमला निवासी विक्रांत गौतम व सुक्रांत सूद ने लावारिस कुत्तों और बंदरों को खाना खिलाने का बीड़ा उठाया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:56 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:56 AM (IST)
दो दोस्त दूसरा साल, पेश कर रहे मानवता की मिसाल, महामारी के दौर में बेसहारा का बने सहारा
कोरोना महामारी के मुश्किल वक्त में शिमला के दो दोस्त मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं।

शिमला, जागरण संवाददाता। Shimla Two Friends, कोरोना महामारी के मुश्किल वक्त में शिमला के दो दोस्त मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं। पिछले साल की तरह इस साल भी शिमला निवासी विक्रांत गौतम व सुक्रांत सूद ने लावारिस कुत्तों और बंदरों को खाना खिलाने का बीड़ा उठाया है। दोनों युवा सुबह 250 से 300 चपातियां बनाते हैं। रोजाना कोरोना कफ्र्यू में ढील के दौरान शहर में कुत्तों और बंदरों को खाना खिलाने निकल जाते हैं। विकास गौतम और सुक्रांत सूद पेशे से कारोबारी हैं। कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए सरकार ने 10 मई को कफ्र्यू लगाया था। उसी दिन से इन्होंने कुत्तों और बंदरों को खाना खिलाने की मुहिम छेड़ी थी।

आशियाना रेस्तरां के सामने सुक्रांत सूद का काउंटर है। यहीं पर दोनों दोस्त कुत्तों और बंदरों के लिए खुद चपाती बनाने का काम करते हैं। 10 बजे जब कर्फ्यू में ढील मिलती है तब दोनों रिज, मालरोड, कालीबाड़ी सहित लोअर बाजार में बंदरों और कुत्तों को चपातियां बांटते हैं। कुत्तों को दूध के साथ चपातियां देते हैं।

विक्रांत और सुक्रांत सूद का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू में बेसहारा जानवरों को खाना नहीं मिल रहा है। इसको देखते हुए उन्होंने यह निर्णय लिया। हर रोज 10 किलो आटे की रोटियां तैयार की जा रही हैं। पिछले साल भी लॉकडाउन के दौरान रोटियां और बिस्कुट बंदरों और कुत्तों को देते थे।

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