शिमला शहर में रोजाना लग रहा 90 मिनट तक जाम, एक दशक पहले किए अध्‍ययन पर सरकार ने नहीं किया अमल

Shimla City Traffic Jam राजधानी शिमला शहर में जाम लगना आम बात हो चुकी है। इस जाम से कर्मचारी स्कूल-कालेज के छात्र परेशान हैं। हालत यह हो चुकी है कि शिमला में सामान्य तौर पर रोजाना सुबह-शाम 73 मिनट का ट्रैफिक जाम लगता है

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 12:43 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 12:43 PM (IST)
शिमला शहर में रोजाना लग रहा 90 मिनट तक जाम, एक दशक पहले किए अध्‍ययन पर सरकार ने नहीं किया अमल
राजधानी शिमला शहर में जाम लगना आम बात हो चुकी है।

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। Shimla City Traffic Jam, राजधानी शिमला शहर में जाम लगना आम बात हो चुकी है। इस जाम से कर्मचारी, स्कूल-कालेज के छात्र परेशान हैं। हालत यह हो चुकी है कि शिमला में सामान्य तौर पर रोजाना सुबह-शाम 73 मिनट का ट्रैफिक जाम लगता है, जिसकी अधिकतम अवधि 90 मिनट भी रहती है। हर एक सेकंड में वाहन आते-जाते हैं। दोपहर में शहर की सड़कों पर दस सेकंड में वाहन गुजरता है। सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर दस बजे तक वाहन सड़कों पर दौड़ने के बजाय रेंगते हैं, इसी तरह की स्थिति शाम को पांच बजे के बाद सात बजे तक रहती है।

ट्रैफिक जाम तारादेवी, मशोबरा, कुफरी, टुटू से लगना शुरू होता है। सप्ताह के पहले दिन शहर में हिमाचल नंबर के 35 हजार वाहन प्रवेश करते हैं। ये वाहन राज्य के निचले क्षेत्रों के अलावा कालका-शिमला मार्ग से और मंडी व शिमला जिला के क्षेत्रों से शहर में प्रवेश करते हैं। सप्ताह के अंतिम तीन दिनों के दौरान उत्तर भारत के राज्यों से पर्यटकों की आमद शिमला शहर में बढ़ने से रोजाना पांच हजार से लेकर सात हजार वाहन सड़कों में रोजाना वाहनों की संख्या के साथ जुड़ जाते हैं।

10 साल पहले का अध्ययन

एक दशक पहले शिमला जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक दुल्लर ने शहर की सड़कों पर ट्रैफिक ड्यूटी देने वाले पुलिस कर्मियों से एक अध्ययन करवाया था। उस अध्ययन के मुताबिक तब शहर में हिमाचल नंबर के वाहनों की संख्या 65 हजार थी। उसके अलावा दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों की संख्या अधिकतम दस हजार थी। ट्रैफिक जाम का समाधान ये दिया गया था कि शिमला शहर में भी सिंगापुर, दुबई के अतिरिक्त कई अन्य विकसित शहरों की तरह फ्लाई ओवर बनाए जाने चाहिएं, ताकि ट्रैफिक जाम की समस्या का समाधान निकल सके।

नहीं हुआ इस पर अमल

छोटा शिमला चौक, टा-लैंड, विक्ट्री टनल, संजौली, रेलवे स्टेशन, बालूगंज, एमएलए क्वाटर्स चौक पर सामान्य तौर पर वाहनों के आने-जाने की व्यवस्था नहीं होने के कारण ट्रैफिक जाम लगता है। जिसे लेकर चौक पर छोटे फ्लाई ओवर बनाने का प्रस्ताव आया था। एक स्थान पर निर्माण की प्रस्तावित लागत 400 करोड़ रुपये आंकी गई थी। वर्तमान सरकार में इस तरह के प्रस्ताव के बाद कोई कदम नहीं उठाया गया।

क्‍या कहते हैं लोनिवि प्रधान सचिव

प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग सुभाषीश पांडा का कहना है शिमला राजधानी शहर होने के कारण यहां पर वाहनों का अधिक दवाब रहता है। शहर में लोगों के पास एक से अधिक वाहन भी हैं। इसका समाधान निकालने के लिए सड़कों को चौड़ा करने का कार्य चल रहा है। सप्ताह के पहले दो दिनों के दौरान वाहनों की संख्या इसलिए भी अधिक रहती है कि लोग घरों से शिमला लाटते हैं और शहर में वाहनों की संख्या अधिक हो जाती है।

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