शांता कुमार ने कहा पालमपुर में पंडित नेहरु की मूर्ति को प्रशासन करवाए दुरुस्त

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने नेहरु चौक में स्थापित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की प्रतिमा को व्यवस्थित करने व मरम्मत करने के लिए एसडीएम को पत्र लिखा है। साथ ही एक लाख रुपये की धनराशि का चैक भी भेजा है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 01:38 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 01:38 PM (IST)
शांता कुमार ने कहा पालमपुर में पंडित नेहरु की मूर्ति को प्रशासन करवाए दुरुस्त
जवाहर लाल नेहरु की प्रतिमा को व्यवस्थित करने व मरम्मत करने के लिए एसडीएम को पत्र लिखा है।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने नेहरु चौक में स्थापित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की प्रतिमा को व्यवस्थित करने व मरम्मत करने के लिए एसडीएम को पत्र लिखा है। साथ ही एक लाख रुपये की धनराशि का चैक भी भेजा है। उन्होंने एसडीएम अमित गुलेरिया को पत्र लिख कर अपनी बचपन की याद के बारे में बताते हुए नेहरु चौक पर स्थापित पूर्व प्रधानमंत्री की मूर्ति को दुरस्त करने का आग्रह किया। इस कार्य में अगर और भी धनराशि लगती है तो उसे भी देने की हामी भरी है।

शांता कुमार बताया कि कायाकल्प से लौटते हुए नेहरू चौक पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा देखी । प्रतिमा की टूटती हुई हालत को देख कर बचपन की कुछ यादें मनमस्तिष्क में घूम गई और आंखों में आंसू आए। शायद 1942 की बात है उनके पूज्य पिता बैजनाथ में पोस्टमास्टर थे और वह चौथी - पांचवीं में पढ़ते थे। अच्छी तरह से याद है पंडित जवाहर लाल नेहरु बैजनाथ में मंदिर के साथ बहुत बड़े वट वृक्ष के जनसभा में भाषण दे रहे थे। अटियाले पर दरियां बिछी थी, कुछ कुर्सियां लगी थी। बैजनाथ के प्रसिद्ध कांग्रेस नेता शायद मंगत राम भी थे। उस समय के मेरे बाल मन पर अंकित वह सब याद आ रहा है। नेहरु ने भाषण दिया था। भाषण का एक वाक्य हम सबको मिलकर आजादी प्राप्त करनी है। मुझे याद है कि उसी समय इसी पालमपुर में उस समय के प्रसिद्ध कांग्रेस नेता कन्हैया लाल बुटेल को मिलने के लिए उनके घर गये थे।

आज इस तथ्य की पुष्टि पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल से की है । उन्होंने बताया की 1942 अप्रैल मास में पंडित जवाहर लाल नेहरू उनके घर आये थे। बैजनाथ में छोटी -सी जनसभा करके वे मंडी होकर मनाली गए थे । पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के एक महान नेता थे । परिवार स्वतंत्रता आंदोलन में सराहनीय कार्य करता रहा। स्वतन्त्र भारत के वे प्रथम प्रधानमंत्री बने। जिस पालमपुर में वे आज से लगभग 80 वर्ष पहले पधारे थे उसी पालमपुर के नेहरू चौक में उनकी छोटी सी प्रतिमा की इतनी बूरी हालत हो इससे अधिक लज्या की और कोई बात नहीं हो सकती। शांता ने कहा कि कल से ही बहुत आहत हूं । मैंने एक निर्णय किया है आप का सहयोग चाहिए । इस मूर्ति की इस दयनीय स्थिति पर समाचार पत्रों में कई बार चर्चा हुई है।

पालमपुर की नई नगर निगम पालमपुर के सौंदर्य के लिए लाखों रुपये खर्च कर रही है। देश के इस महान नेता का ध्यान नहीं आया। उनका इस पत्र के साथ मैं आपको एक लाख रुपये का चैक भेज रहा हूं । मेरा आपसे आग्रह है कि अतिशीघ्र प्रतिमा की सब प्रकार से मुरम्मत करवायें। यहां प्रतिमा ऐसी लगनी चाहिए जिस पर वर्षा या हवा का कोई प्रभाव न हो । जैसी स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा विवेकानंद परिसर में लगाई है। यदि वैसी प्रतिमा न लगा सके तो इस प्रकार से प्रतिमा के चारों ओर कोई पारदर्शी शीशे की सुरक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए ।

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