सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर में 7वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान उत्सव का हुआ आयोजन

पालमपुर में सातवें भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव आइआइएसएफ 2021 का एक पूर्व भूमिका कर्टेन रेज़र समारोह का आयोजन किया गया। भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव जिज्ञासा को प्रेरित करने और सीखने को देश के लिए और अधिक उपयोगी बनाने की दिशा में अग्रसर है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 04:44 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 04:44 PM (IST)
सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर में 7वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान उत्सव का हुआ आयोजन
पालमपुर में कर्टेन रेजर समारोह का आयोजन डिजिटल माध्यम से किया गया।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। सीएसआइआर हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में सातवें भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव आइआइएसएफ, 2021 का आयोजन किया गया। भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव जिज्ञासा को प्रेरित करने और सीखने को देश के लिए और अधिक उपयोगी बनाने की दिशा में अग्रसर है। कर्टेन रेजर समारोह का आयोजन डिजिटल माध्यम से किया गया।

7वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2021 का आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा विज्ञान भारती के सहयोग से 10 से 13 दिसंबर 2021 से गोवा में किया जा रहा है। समारोह की मुख्य अतिथि प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, कुलपति, डा. हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर, उत्तराखंड ने अपने संभाषण में संस्थान द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के लिए बधाई दी। हिमालय का विकास, वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाकर ही किया जा सकता है।

नई शिक्षा नीति में विज्ञान व प्रौद्योगिकी को व्यापक स्तर पर प्रयोग के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की राह प्रशस्त की है। विज्ञान को सरलता एवं सृजनता के माध्यम से आम लोगों एवं छात्रों में विज्ञान के प्रति अभिरूचि की प्रवृति का प्रसार किया जा सकता है। छात्रों को मातृभाषा में व्यवहारिक ज्ञान देने की आवश्यकता है, ताकि वे आइएचबीटी जैसे संस्थानों में जाकर विज्ञान को सरलता से समझ सके। संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने  स्वागत संबोधन में अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के कर्टेन रेज़र की भूमिका एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए संस्थान की शोध एवं विकास उपलब्धियों के बारे में बताया। हिमालय से हमें सुगंधित पौधे, पुष्प और जड़ी बूटियां प्राप्त होती हैं। सामाजिक, औद्योगिक और पर्यावरणीय लाभों के लिए हिमालयी जैव संसाधनों के संपोषणीय उपयोग के माध्यम से जैव. आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर संस्थान द्वारा किए जा रहे अथक प्रयासों पर प्रकाश डाला।

विशेष रूप से संस्थान ने देश में पहली बार हींग की खेती की शुरूआत की और कश्मीर के बाहर केसर की खेती एवं हिमाचल प्रदेश में दालचीनी की खेती के लिए प्रासंगिक तकनीकों को विकसित किया है। संस्थान ने औद्योगिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए सफलतापूर्वक प्रौद्योगिकियों का व्यवसायीकरण किया है तथा कई स्टार्टअप के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की दिशा अग्रसर है। इसी प्रकार जंगली गेंदे जैसी सगंध, पुष्प फसलों, मधुमक्खीपालन के विस्तार से ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा रहा है। समारोह में डा. अश्विनी राणा, अध्यक्ष विज्ञान भारती हिमाचल प्रदेश, अध्याय और एसोसिएट प्रो. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर ने विज्ञान भारती एवं अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

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