स्कूल खोलने की पूरी तैयारी पर अभिभावकों में असमंजस की स्थिति, जानिए क्‍या कहते हैं पैरेंटस

Himachal School प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों को 21 सितंबर से खोलने के फैसले को लेकर स्कूलों में तैयारियां भले ही पूरी हों पर अभी बच्चों के अभिभावक कुछ असमजंस की स्थिति में भी हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 03:55 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 03:55 PM (IST)
स्कूल खोलने की पूरी तैयारी पर अभिभावकों में असमंजस की स्थिति, जानिए क्‍या कहते हैं पैरेंटस
स्कूल खोलने की पूरी तैयारी पर अभिभावकों में असमंजस की स्थिति, जानिए क्‍या कहते हैं पैरेंटस

धर्मशााला, जेएनएन। प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों को 21 सितंबर से खोलने के फैसले को लेकर स्कूलों में तैयारियां भले ही पूरी हों पर अभी बच्चों के अभिभावक कुछ असमजंस की स्थिति में भी हैं। हालांकि 21 सितंबर से केवल स्कूल स्टाफ को ही बुलाने का फैसला लिया गया है और स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को लेकर 30 सितंबर के बाद कोई निर्णय होगा। स्कूलों में नवमीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को बुलाया जाएगा। इन सब परिस्थतियों में बच्चों के अभिभावक इस असमजंस में भी हैं कि वह अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने को लेकर अपनी सहमति स्कूल प्रबंधन को दें या नहीं।

डर उनमें इस बात को लेकर भी है कि क्या स्कूलों में बच्चे आपस में शारीरिक दूरी रख पाएंगे या नहीं। उनका यह भी मानना है कि भले ही स्कूल प्रबंधन तो अपनी ओर से पूरी व्यवस्था करेगा पर बच्चों पर कितनी नजर रखी जा सकेगी। वहीं दूसरी ओर स्कूल प्रबंधन की सुने तो सरकार के फैसले के बाद उनकी तो पूरी तैयारियां हैं पर जब तक अभिभावक अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने के लिए सहमति स्कूल प्रबंधन को नहीं देते हैं तो जबरदस्ती स्कूलों में बच्चों को बुलाया भी नहीं जा सकता है।

क्या कहते हैं अभिभावक

मुनीष वर्मा का कहना है स्कूल प्रशासन महामारी से सुरक्षित रखने के लिए पुख्ता प्रबंध करे तो उन्‍हें बच्चों को बेखौफ होकर स्कूल भेजने में कोई आपत्ति नहीं है। स्कूल में सुरक्षित एवं कोरोना मुक्त माहौल स्थापित करना होगा। अगर शारीरिक दूरी के नियमों की उल्लंघना होती है तो मुशिकलें ओर बढ़ेंगी।

सोनी देवी का कहना है बच्चों की उच्च शिक्षा तथा बेहतर भविष्य के लिए उन्हें अवश्य स्कूल भेजेंगे। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए कठिन चुनौतियों का सामना करना जरूरी है। लेकिन इसके साथ यह भी जरूरी है कि स्कूलों में भी पूरी तरह से नियमों का पालन हो, ताकि सभी सुरक्षित रहें और इस बीमारी से भी बचे रहें। 

अभय परवान का कहना है सरकार को नियमित रूप से कक्षाएं आरंभ करके पढ़ाई शुरू करनी चाहिए। लेकिन कक्षा में शारीरिक दूरी तथा कोविड-19 के सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन अति आवश्यक है। बच्चों को स्कूलों में भेजने का फैसला होना पर एहतियात सभी के लिए जरूरी है।

विजय कुमार का कहना है जब प्रदेश में महामारी पर नियंत्रण था तब स्कूल बंद रहे। लेकिन सितंबर में कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि होने से स्कूली छात्रों पर असर हो सकता हैं। परिस्थितियां सामान्य होने तक स्कूल बंद रहें तो बच्चों की सुरक्षा हित में होगा, सरकार इस विषय पर भी विचार करे।

क्‍या कहते हैं स्‍कूल प्रबंधक

रेनबो इंटरनेशनल स्कूल नगरोटा बगवां के प्रधानाचार्य डाॅ. छवि कश्यप का कहना है हमारी ओर से स्कूलों में तैयारियां पूरी हैं। अभिभावकों को अपनी सहमति देने के लिए कहा गया कि वह अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने को लेकर अपनी सहमति स्कूल प्रबंधन को दें। अभी तक कोई भी सहमति अभिभावकों की ओर से नहीं आई है अगर सहमति होगी तो हम आगे चल पाएंगे।

केंद्रीय विद्यालय योल छावनी के प्रधानाचार्य गिरीश शर्मा का कहना है केंद्रीय विद्यालय में कोरोना वायरस के बचाव के लिए पूरी तैयारियां कर रखी हैं। स्कूल में सैनिटाइजेशन के साथ आक्सी मीटर की भी व्यवस्था कर रखी है। हर छात्र को अपने परिजनों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। हर रोज आड ईवन नंबर से ही विधार्थियों को बुलाया जाएगा, जिससे उपस्थिति भी कम रहेगी।

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