बोले प्रवीण शर्मा, कोरोना महामारी के कारण विधवा हुई महिलाओं के सशक्तीकरण की बने योजना
इंसाफ संस्था के अध्यक्ष व विधायक प्रवीण कुमार ने कहा कि मानव जीवन के इतिहास में विभिन्न आपदाओं ने मानव की परीक्षा ली है परंतु अंततः जीत हमेशा मानव की ही हुई है । कोरोना की अप्रत्याशित आपदा ने आज जीवन को झकझोर करके रख दिया है।
पालमपुर, जेएनएन। इंसाफ संस्था के अध्यक्ष व विधायक प्रवीण कुमार ने कहा कि मानव जीवन के इतिहास में विभिन्न आपदाओं ने मानव की परीक्षा समय समय पर ली है परंतु अंततः जीत हमेशा मानव की ही हुई है । कोरोना की अप्रत्याशित आपदा ने आज जीवन को झकझोर करके रख दिया है। कभी सोचा न था कि इस भयंकर त्रासदी के चलते कुछ परिवारों पर कहर इस कदर बरसेगा कि दो वक्त की रोटी पर भी प्रश्नचिह्न लग जाएगा।
ऐसे में इस प्राकृतिक आपदा के चलते अनाथ हुए बच्चों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 2000 एवं राज्य सरकार द्वारा 1500 की आर्थिक सहायता देना अति सराहनीय निर्णय है परंतु इसी कोरोना महामारी के चलते जो महिलाएं विधवा हुई हैं उनका क्या जिनके पति इस कोविड की आहुति हो गए हैं उनकी व उनके बच्चों के हितों की रक्षा कैसे संभव हो सकेगी। कोरोना काल में विधवा हुई महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए योजना बननी चाहिए।
यह प्रश्न उठाते हुए इन्साफ संस्था के अध्यक्ष ने उदाहरण देते हुए कहा कि उनके वार्ड नंबर सात चिम्बलहार की आशा वर्कर रीना देवी के पति हरीश चौधरी (45) की कोरोना महामारी के कारण टांडा में मृत्यु को गई। रीना के दो नन्हें बच्चे है। रीना प्रायः अपने पति की कमाई पर ही आश्रित थी जो एक दर्जी का काम करते थे। ऐसे में लगता है कि सरकार को इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, जहां नियमों के तहत प्राकृतिक आपदाओं के समय परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है इस तरह यह भी एक किस्म की प्राकृतिक आपदा ही नहीं बल्कि इसे महाविनाशक प्राकृतिक आपदा कहना अनुचित नहीं होगा।
पूर्व विधायक ने कहा केंद्र व राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं से समाज का कोई भी अंग अछूता नहीं रहना चाहिए। लेकिन अभी तक इस महामारी में विधवा हुई महिलायें जो कि पाय: दिवंगत पति की कमाई पर ही निर्भर रही हैं के लिए कोई भी ऐसी योजना नहीं है। जिससे ये इस प्राकृतिक आपदा में अपने को संभाल सकें। पूर्व विधायक ने बताया कि विभिन्न दुर्घटनाओं एवं प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रभावित परिवारों को वित्तीय सहायता का प्रावधान रहता है। इसी के तहत इन विधवा महिलाओं को भी वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना पर भी चिंतित होना चाहिए ताकि नारी जो कि समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है ऐसा न समझे कि इस आपदा की घड़ी में उसकी सहायता के लिए कोई उनके साथ नहीं है।