शिव मंदिर काठगढ़ में लगे हर-हर महादेव के जयकार, इस विशेष अवसर पर जुड़ जाता है दो भागों में बंटा शिवलिंग

Kathgarh Shiva Temple इंदौरा के प्राचीन शिव मंदिर काठगढ़ में सावन माह के दूसरे सोमवार को हर हर महादेव के जयकारे खूब गूंजे। बारिश के बावजूद शिवभक्त लाइनों में लगकर महादेव को बिल्‍व पत्र अर्पित करने के लिए पहुंचे व लाइनों में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार किया।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 11:00 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 03:13 PM (IST)
शिव मंदिर काठगढ़ में लगे हर-हर महादेव के जयकार, इस विशेष अवसर पर जुड़ जाता है दो भागों में बंटा शिवलिंग
प्राचीन शिव मंदिर काठगढ़ में सावन माह के दूसरे सोमवार को हर हर महादेव के जयकारे खूब गूंजे।

इंदौरा, रमन। Kathgarh Shiva Temple, जिला कांगड़ा में इंदौरा के प्राचीन शिव मंदिर काठगढ़ में सावन माह के दूसरे सोमवार को हर हर महादेव के जयकारे खूब गूंजे। बारिश के बावजूद शिवभक्त लाइनों में लगकर महादेव को बिल्‍व पत्र अर्पित करने के लिए पहुंचे व लाइनों में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार किया। सावन माह के पहले सोमवार को भी काठगढ़ में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा था। हजारों भक्तों ने कोविड-19 नियमों की पालना करते हुए शिव की पूजा की थी व आशीर्वाद लिया। इसी तरह से आज भी काठगढ़ में भक्तों का तांता लगा है।

शिवरात्रि को जुड़ जाता है यहां दो भागों में बंटा शिवलिंग

यह विश्व का एक मात्र शिवमंदिर है, जहां शिवलिंग दो भागों में बंटे हुए हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि दो भागों में बंटा हुआ शिवलिंग महाशिवरात्री पर्व के दौरान जुड़ जाता है और इसके बाद वर्ष भी दो भागों में बंटा रहता है। इस शिवलिंग की ऊंचाई करीब आठ फीट है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु नकमस्तक होते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। शिवरात्रि के साथ रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, श्रवण मास महोत्सव, शरद नवरात्रि व अन्य समारोह मनाए जाते हैं। इसी के चलते अब काठगढ़ महादेव लाखों ही शिवभक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र हे। जहां पर प्रति वर्ष सैकड़ों शिव भक्त नतमस्तक होते है ।

 

मंदिर से जुड़ा इतिहास

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार ब्रह्मा व विष्णु भगवान के मध्य बड़प्पन को लेकर युद्ध हुआ था। भगवान शिव इस युद्ध को देख रहे थे। दोनों के युद्ध को शांत करने के लिए भगवान शिव महाग्नि तुल्य स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। इसी महाग्नि तुल्य स्तंभ को काठगढ़ स्थित महादेव का विराजमान शिवलिंग माना जाता है। इसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है।

सिकंदर ने करवाया था निर्माण

प्राचीन शिव मंदिर काठगढ़ विश्व विजेता सिकंदर के समय 326 ईसा पूर्व बनाया गया था। सिकंदर जब पंजाब पहुंचा और पंजाब में प्रवेश करने से पूर्व वह मीरथल नामक गांव में अपने पांच हजार सैनिक लेकर खुले मैदान में विश्राम करने लगा। यहां उसने देखा कि एक फकीर शिवलिंग की पूजा में व्यस्त था। सिकंदर ने फकीर से कहा कि वह उनके साथ यूनान चलें, वह उन्हें दुनिया का हर ऐशवर्य देंगे। फकीर ने सिकंदर की बात को अन्नसुना करते हुए कहा आप थोड़ा पीछे हट जाएं और सूर्य का प्रकाश मेरे तक आने दें। फकीर की इस बात से प्रभावित होकर सिकंदर ने टिल्ले पर काठगढ़ महादेव का मंदिर बनाने के लिए भूमि को समतल करवाया और चारदीवारी बनवाई। यहां ब्यास नदी की और अष्टकोणीय चबूतरे बनवाए जो आज भी यहां है।

राजा रणजीत सिंह ने बनाया सुंदर मंदिर

राजा रणजीत सिंह ने जब गद्दी संभाली तो पूरे राज्य के धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। वह जब काठगढ़ पहुंचे, तो इतना आनंदित हुए कि उन्होंने शिवलिंग पर तुरंत सुंदर मंदिर बनवाया, यहां पूजा करके आगे निकले। मंदिर के पास ही बने कुएं का जल उन्हे इतना पंसद था कि वह हर शुभकार्य के लिए यहीं से जल मंगवाते थे। अर्धनारीश्वर का रूप दो भागों मे विभाजित शिवंलिग का अंतर ग्रहो एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है। शिवरात्री पर दोनों का मिलन हो जाता है।

यहां लगता है तीन दिन मेला

काठगढ़ मंदिर न्यास की ओर से शिवरात्रि के त्यौहार पर प्रत्येक वर्ष तीन दिवसीय मेला लगाया जाता है। मंदिर में मेले के दौरान और सावन माह के सोमवार के दिन पूरा मंदिर श्रद्धालुओं से भरा रहता है। यहां केवल प्रदेश से ही श्रद्धालु नहीं आते, बल्कि भगवान शिव की उपासक पूरे देश से श्रद्धालु आते हैं। शिव और शकित के अर्घनारीश्वर स्वरूप श्री संगम के दर्शन से मानव जीवन मे आने वाले सभी पारिवारिक और मानसिक दुखों का अंत हो जाता है।

यह बोले मुख्य पुजारी महंत काली दास

मुख्य पुजारी महंत काली दास ने कहा कि शिव मंदिर काठगढ़ में हर वर्ष देश भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने के लिए सराय की व्यवस्था की गई है।

क्‍या कहती है मंदिर कमेटी

मंदिर कमेटी के प्रधान ओम प्रकाश कटोच ने कहा कि 1984 में बनी मंदिर की प्रबंधकारिणी सभा मंदिर के उत्थान के लिए कार्य करती आ रही है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई विकास कार्य किए गए। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए कमेटी ने दो लंगर हॉल, दो सराय, एक भव्य सुंदर पार्क, पेयजल की व्यवस्था तथा सुलभ शौचालयों का निर्माण करवाया है।

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