संजय पराशर ने रक्कड़ सीएचसी में बनवाया बरामदा व शेड
समाजसेवी नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य और वीआर मेरीटाइम शिपिंग कंपनी के प्रबंध निदेशक कैप्टन संजय पराशर ने अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रक्कड़ की भी तस्वीर बदल दी है। इस सीएचसी भवन में पराशर ने बरामदे व शेड का निर्माण करवा दिया है ।
डाडासीबा/चिंतपूणी, जागरण टीम। समाजसेवी, नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य और वीआर मेरीटाइम शिपिंग कंपनी के प्रबंध निदेशक कैप्टन संजय पराशर के जसवां-परागपुर क्षेत्र में सामाजिक सरोकारों को निभाने का सिलसिला निरंतर जारी है। कोरोनाकाल में क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में अमूल्य योगदान दे चुके पराशर ने अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रक्कड़ की भी तस्वीर बदल दी है। इस सीएचसी भवन में पराशर ने बरामदे व शेड का निर्माण करवा दिया है और पुष्प वाटिका का कार्य भी करवाया जाएगा।
स्थानीय पंचायत ने पराशर को एक पत्र के माध्यम से प्रस्ताव भेजा था कि रक्कड़ की इस सीएचसी में आसपास की 12 पंचायतों के मरीज इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं। बरामदा न होने के कारण मरीजों व उनके तीमारदारों को कड़कती धूप या बारिश के मौसम में बाहर ही खड़ा होना पड़ता था। पराशर ने प्रस्ताव मिलने के कुछ समय के भीतर ही बरामदे व शेड का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया। बकायदा मरीजों के बैठने के लिए बेंच भी लगा दिए हैं। इस कार्य में करीब चार लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। शेड व बरामदा बनने से अस्पताल के बाहर जगह भी खुली हो गई है और एक ही समय में कई लोग वहां बैठ सकते हैं।
पंचायत प्रधान जीवना देवी ने बताया कि पराशर क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों में योगदान दे रहे हैं और उनकी पंचायत की मांग पर भी रिकार्ड समय में बरामदा व शेड का निर्माण करवा दिया गया। वहीं, पूर्व पंचायत प्रधान रत्न ङ्क्षसह, पूर्व प्रधान प्रेम लाल, विशाल संदीप, भूरि ङ्क्षसह, सुभाष और रीनू का कहना था कि इस तहसील के अंर्तगत पहले सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में पराशर ने दवाएं व मेडिकल उपकरण उपलब्ध करवाए और अब अपने संसाधनों से उन्होंने रक्कड़ सीएचसी की दिशा व दशा भी बदल दी है। संजय पराशर इस तहसील में कई विकासात्मक कार्यों को अमलीजामा पहना रहे हैं और मंदिरों, खेल मैदानों व आंगनबाड़ी केन्द्रों के बाद उन्होंने स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत भी सुधार दी है।
खुद को धन्यभागी मानूंगा : संजय
संजय पराशर ने बताया कि रक्कड़ कई सुदूर गांवों का केंद्र ङ्क्षबदु भी है और यहां दूरदराज के क्षेत्रों से भी मरीज इलाज करवाने के लिए आते हैं। ऐसे में इस सीएचसी में निमार्ण कार्य करवाना समय की जरूरत थी। अगर इससे मरीजों या यहां आने वाले लोगों को लाभ मिलेगा तो वह खुद को धन्यभागी मानते हैं।