तीन दशक बाद भी नहीं बन पाया पालमपुर का रोपवे, जानिए क्यों लटका है शांता कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट
Palampur Ropeway करीब तीन दशकों से कागजों की शोभा बन रही रोपवे परियोजना पालमपुर को अब फिर चुनाव संहिता का ग्रहण लग गया है। करीब 29 वर्षों के बाद भी इस परियोजना में एक ईंट तक नहीं लग पाई है।
पालमपुर, कुलदीप राणा। करीब तीन दशकों से कागजों की शोभा बन रही रोपवे परियोजना पालमपुर को अब फिर चुनाव संहिता का ग्रहण लग गया है। करीब 29 वर्षों के बाद भी इस परियोजना में एक ईंट तक नहीं लग पाई है, जबकि राजनीतिज्ञ इसे बनाने की बात से इंकार नहीं कर रहे हैं। काम हो या न हो आश्वासन को लेकर दोनों की पार्टियों के नेता अपने दावे जताते रहे हैं। प्रदेश में बनी भाजपा की नई सरकार ने एक बार फिर मंत्रिमंडल की बैठक में इसे हरी झंडी दी है। मगर बजट को प्रावधान सरकार नहीं कर पाई है। शांता कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में एक माने जाने वाले रोपवे का कार्य भाजपा और कांग्रेस सरकारों में तीन दशक से अटका हुआ है।
1990 में रखी गई थी आधारशिला
वर्ष 1990 में बतौर मुख्यमंत्री शांता कुमार ने धौलाधार की पहाडि़यों में पर्यटन को बढ़ाबा देने के लिए आईमा पंचायत स्थित सरकारी आइटीआइ के पास रोपवे की आधारशिला रखी थी, लेकिन 29 वर्ष के अंतराल में भी परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई है।
राशि हुई थी मंजूर
योजना के तहत पालमपुर में प्रस्तावित रोपवे के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने 87 लाख रुपये की राशि भी मंजूर कर दी थी, लेकिन शांता कुमार की सरकार कुछ माह में भंग होने के कारण यह परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई थी। बाद में केंद्रीय पर्यटन मंत्री मदन लाल खुराना ने भी पालमपुर रोपवे के लिए 90 लाख रुपये मंजूर किए। लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से कोई प्रयास न करने के चलते पैसा वापस चला गया। इसमें भी रोपवे नहीं बन पाया।
क्या कहते हैं पूर्व सांसद
पूर्व सांसद शांता कुमार का कहना है कि पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना रोपवे को अब 13 किलोमीटर लंबा बनाया जाएगा। इसे धौलाधार की स्नो लाइन से जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना है। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने रोपवे परियोजना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी देते हुए 11 करोड़ रुपये मुहैया करवाने का आश्वासन दिया है।
क्या कहते हैं विधायक
विधायक आशीष बुटेल ने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल में इस परियोजना को सिरे चढ़ाने का प्रयास किया था। प्रदेश मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल के प्रयासों से नई रोपवे योजना तैयार कर इसे धौलाधार की स्नो लाइन से जोड़ने के लिए शिलान्यास किया गया था। सरकार ने इसके लिए बजट का प्रावधान करने की बात कही थी मगर इस दौरान कांग्रेस सरकार के सत्ता विहीन होने पर परियोजना लंबित हो गई है। भाजपा को सिर्फ चुनावों के समय ही इन परियाेजनाओं की याद आती है जो ठीक नहीं हैं।