हिमाचल में कैबिनेट की मंजूरी के लिए जाएगा धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, धर्मांतरण करवाने वालों पर शिकंजा
Religious Freedom Act जबरन धर्मांतरण करवाने वाले लोगों व संस्थाओं पर लगाम लगाने के लिए हिमाचल में सबसे पहले अधिनियम तो बना दिया गया लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका। अब दैनिक जागरण द्वारा मुद्दे को उठाने के बाद इसे लागू करने की उम्मीद जगी है।
शिमला/धर्मशाला, जेएनएन। जबरन धर्मांतरण करवाने वाले लोगों व संस्थाओं पर लगाम लगाने के लिए हिमाचल में सबसे पहले अधिनियम तो बना दिया गया, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका। अब 'दैनिक जागरण' द्वारा मुद्दे को उठाने के बाद इसे लागू करने की उम्मीद जगी है। हिमाचल सरकार की ओर से कहा गया है कि अधिनियम को औपचारिक स्वीकृति के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद प्रदेश के लोग इस कानून के हकदार होंगे।
एसीएस मनोज कुमार की गैरमौजूदगी में गृह विभाग का अतिरिक्त दायित्व देख रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश धाॢमक स्वतंत्रता अधिनियम-2019 के नियम व उपनियम बनाने के लिए इसे मंत्रिमंडल की बैठक में लाया जाएगा। जहां औपचारिकताएं पूरी होने के बाद यह कानूनी रूप लेगा।
2019 में सरकार ने धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए विधानसभा से बिल पारित करवाया। उसके उपरांत विधि विभाग की ओर से आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की गई, लेकिन अंतिम चरण की कार्रवाई पूरी करने में राज्य सरकार का गृह विभाग चूक गया। नतीजा यह रहा कि पिछले एक साल से यह लटका रहा।
फ्लैश बैक
सरकार को शीघ्र लागू करना जाए कानून
दुर्गा वाहिनी प्रांत प्रमुख रजनी ठुकराल का कहना है कुछ साल पहले सिरमौर व नालागढ़ क्षेत्र में जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं सामने आती थी। लेकिन, आज कई जगह इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। इन पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून की जरूरत है। सरकार को धार्मिक स्वतंत्रता कानून को शीघ्र लागू करना चाहिए।
गृह विभाग की उदासीनता से कानूनी रूप नहीं ले पाया अधिनियम
प्रांत प्रमुख विहिप नीरज दौनेरिया का कहना है गृह विभाग की उदासीनता के कारण विधानसभा में पारित हुआ अधिनियम कानूनी रूप नहीं ले पाया। विहिप चाहता है कि प्रदेश सरकार तत्काल प्रभाव से इसे लागू करें, ताकि कुछ लोगों की ओर से जारी अवैध गतिविधियों पर रोक लग सके। लव जिहाद रोकने के लिए सरकार विधानसभा में कानून बनाए।