हिमाचल में 10 जगह पर पाए गए ये दुर्लभ वन्य प्राणी, ब्लूशिप, आइबैक्स, हिमालयन थार का कुनबा बढ़ा

Rare Wild Animals Himachal ट्रांस हिमालय रेंज के हिमाचल क्षेत्र में न केवल बर्फानी तेंदुए (स्नो लैपर्ड) बल्कि बड़ी संख्या में ब्लूशिप आइबैक्स हिमालय थार भी पाए गए हैं। 10 साइट पर इनकी मौजूदगी के पुख्ता सुबूत मिले हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 06:45 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 08:18 AM (IST)
हिमाचल में 10 जगह पर पाए गए ये दुर्लभ वन्य प्राणी, ब्लूशिप, आइबैक्स, हिमालयन थार का कुनबा बढ़ा
ट्रांस हिमालय रेंज के हिमाचल क्षेत्र में मौजूद आइबैक्‍स।

शिमला, रमेश सिंगटा। ट्रांस हिमालय रेंज के हिमाचल क्षेत्र में न केवल बर्फानी तेंदुए (स्नो लैपर्ड) बल्कि बड़ी संख्या में ब्लूशिप, आइबैक्स, हिमालय थार भी पाए गए हैं। 10 साइट पर इनकी मौजूदगी के पुख्ता सुबूत मिले हैं। ये साइट हैं भागा, हिम, चंद्र, भरमौर, कुल्लू, मियार, पिन, बसपा, ताबो और हंगलंग। अकेले स्पीति में ही 810 ब्लूशिप और पिन वैली में 224 आइबैक्स हैं। वैज्ञानिक आधार पर इनके प्राकृतिक आवासों का पता पहली बार पता चला है। इनमें से ब्लूशिप, आइबैक्स को स्नो लैपर्ड अपना शिकार बनाता है। अब वन विभाग इन दुर्लभ वन्य प्राणियों के संरक्षण पर जोर देगा। सर्वे की रिपोर्ट पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय को भी भेजी जा रही है।

किन देशों में पाया जाता है स्नो लैपर्ड

भारत, अफगानिस्तान, भूटान, चीन, कजाकिस्तान, किरगीस्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, पूर्व सोवियत संघ और उजबेकिस्तान में स्नो लैपर्ड प्राकृति तौर पर मिलते हैं।

हिमाचल में विचरण

स्नो लैपर्ड की हिमाचल में एक की औसतन मूवमेंट 40 वर्ग किलोमीटर से 100 वर्ग किलोमीटर है। इससे साफ है कि लाहुल का स्नो लैपर्ड अकसर तिब्बत क्षेत्र में घूमता है और वहां के कई बार हमारे इलाके में आते हैं। इनके लिए दो देशों की सीमाएं कोई मायने नहीं रखती हैं।

दूसरे राज्यों में भी होगा सर्वे

हिमाचल में सर्वे स्टडी नेचर कन्जरवेशन फाउंडेशन ने की। अब दूसरे हिमालयी राज्य जैसे उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल, सिक्कम भी ऐसा सर्वे होगा। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार वहां अलग-अलग संस्थाएं सर्वे कर सकती हैं।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ अजय बिजुर हिमाचल प्रभारी एवं वन्य प्राणी विशेषज्ञ नेचर कन्जरवेशन फाउंडेशन मैसूर का कहना है स्नो लैपर्ड के साथ-साथ आइबैक्स, ब्लूशिप, हिमालय थार की काफी अच्छी संख्या पाई गई है। कई वर्षों की मेहनत का परिणाम आ गया। यह हिमालय की इकोलॉजी के लिए सुखद संकेत है। स्नो लैपर्ड में हमने केवल एडल्ट को लिया है। बेसलाइन तैयार हो गई है। अब संरक्षण पहले से अधिक बेहतर तरीके से हो सकेगा। इसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी और सुनिश्चित करनी होगी। संख्या का पता कैमरा ट्रैप से किया। ये 10 साइट पर लगाए गए थे। वन्‍य प्राणी विंग की पीसीसीएफ अर्चना शर्मा का कहना है सर्वे के आधार पर अब दीर्घकालीन कार्ययोजना बनाई जाएगी। इसमें काफी मदद मिलेगी। दुर्लभ वन्य प्राणियों की संख्या का पता लगाना वाकई सुखद है। सुरक्षित हिमालय प्रोजेक्ट के तहत इनके संरक्षण पर जोर रहेगा।

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