Father's Day: ट्रक चलाया राजू ने, बच्चे पहुंचे मंजिल तक, एक को बनाया डाक्टर तो दूसरे को इंजीनियर

मुझे रख दिया छांव मेंं खुद जलते रहे धूप में मैंने ऐसा फरिश्ता देखा है अपने पापा के रूप में...यह कहना है डाक्टर सोनिया और इंजीनियर रोहित रत्न का। मां को खोने वाली डाक्टर सोनिया कहती हैं कि पापा ने कड़े संघर्ष से इस मुकाम तक पहुंचाया है।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:55 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 07:36 AM (IST)
Father's Day: ट्रक चलाया राजू ने, बच्चे पहुंचे मंजिल तक, एक को बनाया डाक्टर तो दूसरे को इंजीनियर
हमीरपुर जिले के पनसाई निवासी (बायें से) इंजीनियर रोहित रत्न, राजकुमार व डाक्टर सोनिया। जागरण

हमीरपुर, मनोज कुमार शर्मा। मुझे रख दिया छांव मेंं, खुद जलते रहे धूप में, मैंने ऐसा फरिश्ता देखा है अपने पापा के रूप में...यह कहना है डाक्टर सोनिया और इंजीनियर रोहित रत्न का। चार साल की उम्र में मां को खोने वाली डाक्टर सोनिया कहती हैं कि मुझे हाथों की सब लकीरों से प्यार है न जाने पापा ने मुझे किस अंगुली से पकड़कर चलना सिखाया है। यह कहानी है हमीरपुर जिले पनसाई निवासी ट्रक चालक पिता राजकुमार उर्फ राजू रत्न की, जिसने पत्नी के निधन के बाद दो बच्चों की बढिय़ा परवरिश कर बेटी को डाक्टर और बेटे को इंजीनियर बनाया। राजकुमार की पत्नी बीना शादी के महज छह साल बाद ही दुनिया को अलविदा कह गई थी।

राज कुमार कहते हैं कि उस समय बेटी सुंदरु उर्फ सोनिया की उम्र चार साल और बेटे रोहित उर्फ किट्टू की उम्र दो वर्ष थी। इस वजह से दूसरी शादी नहीं की ताकि बच्चों का प्यार कहीं बंट न जाए। खैर, कुछ साल संयुक्त परिवार में बच्चों को परवरिश चली। उसके बाद दादी की गोद में खेलते रहे और मैं कामकाज के साथ बच्चों की देखभाल भी करता। तपती गर्मी हो या सर्द रातें ट्रक तो चलाना ही पड़ता था। घर आकर अपनी मां और बच्चों को देखकर सब कष्ट भूल जाता था।

बाद में बच्चों की दादी का भी निधन हो गया, लेकिन रोजी-रोटी के लिए ट्रक चलाने के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई की तरफ विशेष ध्यान दिया। बच्चों की उपलब्धि पर आंखों में खुशी के आंसू लिए राजकुमार कहते हैं मैंने बच्चों को मां की कमी महसूस नहीं होने दी, हर वो काम किया जो एक मां करती है। चूल्हा-चौका से लेकर ट्रक चलाना दिनचर्या में रहा है। बेटी सोनिया ने सुंदरनगर डेंटल कालेज से 2015 में बीडीएस की थी। अब वह निजी डेंटल क्लीनिक में कार्यरत है। बेटे रोहित रत्न ने हमीरपुर के टिप्पर स्थित कालेज में इंजीनियर की पढ़ाई की। वह लुधियाना में कंपनी में सेवाएं दे रहा है। रोहित का कहना है कि पापा ने जो प्यार और दुलार दिया है, उसका कर्ज शायद ही चुका पाएं।

सफलता के पीछे पापा का परिश्रम और दादी का आशीर्वाद : डा. सोनिया

बेटी डा. सोनिया कहती हैं कि हमारी सफलता के पीछे पापा का परिश्रम और दादी का आशीर्वाद है। मां के निधन के समय तो कुछ याद नहीं, जब मां शब्द बोलना सीखा ही था तो मां का साया सिर से उठ गया। लेकिन हमने मां के अक्स को पिता में देखा है। पिता अपनी मां यानी हमारी दादी की सेवा से भी पीछे नहीं हटे। मुझे याद है कि जब मैं सुंदरनगर में बीडीएस की पढ़ाई कर रही थी तो दादी बीमार थीं। दादी के लिए खाना बनाने और उन्हें नहलाने से लेकर हर काम पापा ही करते थे।

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