1905 के भूकंप में टेढ़ा हुआ रघुनाथेश्वर मंदिर, अब टेढ़ा मंदिर से बन गई पहचान

श्री ज्वालामुखी मंदिर से 2 किलोमीटर ऊपर चकवन कालीधार में स्थापित प्राचीन एवं ऐतिहासिक रघुनाथेश्वर टेढ़ा मंदिर आज विश्व के मानचित्र पर है 1905 में जिला कांगड़ा में आए भूकंप में जहां सर्वत्र तबाही के मंजर दिखाई दिए थे कई मकान हवेलियां इमारतें ध्वस्त हो गई थी।

By Richa RanaEdited By: Publish:Fri, 11 Dec 2020 09:18 AM (IST) Updated:Fri, 11 Dec 2020 09:24 AM (IST)
1905 के भूकंप में टेढ़ा हुआ रघुनाथेश्वर मंदिर, अब टेढ़ा मंदिर से बन गई पहचान
ऐतिहासिक एवं प्राचीन टेढ़ा मंदिर इस भीषण भूकंप में अपने स्थान में टेढ़ा हो गया, परंतु गिरा नहीं।

ज्वालामुखी, करुणेश शर्मा। विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर से 2 किलोमीटर ऊपर चकवन कालीधार में स्थापित प्राचीन एवं ऐतिहासिक रघुनाथेश्वर टेढ़ा मंदिर आज विश्व के मानचित्र पर है, क्योंकि वर्ष 1905 में जिला कांगड़ा में आए भीषण भूकंप में जहां सर्वत्र तबाही के मंजर दिखाई दिए थे कई मकान हवेलियां इमारतें ध्वस्त हो गई थी।

वहीं ज्वालामुखी का ऐतिहासिक एवं प्राचीन टेढ़ा मंदिर इस भीषण भूकंप में अपने स्थान में टेढ़ा हो गया, परंतु गिरा नहीं। आज 115 साल के लंबे अरसे के बाद भी वैसे ही टेढ़ा होकर खड़ा है और भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक बन गया है। इस प्राचीन एवं ऐतिहासिक प्राचीन रघुनाथेश्वर टेढ़ा मंदिर में भगवान श्री रामचंद्र माता सीता लक्ष्मण व हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है और लोगों के लिए यह आस्था का केंद्र बना है।

ज्वालामुखी आने वाले श्रद्धालु इस प्राचीन रघुनाथेश्वर टेढ़ा मंदिर को देखने के लिए जरूर जाते हैं परंतु यहां पर मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि टेढ़ा मंदिर ज्वालामुखी के अधीन है और इसका रखरखाव जिम्मेवारी ज्वालामुखी मन्दिर न्यास की है। परंतु मन्दिर न्यास ज्वालामुखी द्वारा 60 लाख का प्रावधान करने के बावजूद आज दिन तक इस प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है ना ही यात्रियों के लिए यहां पर कोई पर्याप्त सुविधाएं मुहैया करवा पाया है जिससे लोगों में सरकार व प्रशासन के खिलाफ रोष देखने को मिलता है।

विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला यहां पर कई बार निरीक्षण करने आ चुके हैं और उन्होंने अधिकारियों को इस मंदिर के लिए योजना बनाने को कहा है इसका सौन्द्रीयकर्ण करने को कहा है  परंतु अधिकारी धीमी गति से इन कार्यों को करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं जिससे विकास कार्य नहीं चल रहा है स्थानीय लोगों ने भी सरकार व प्रशासन से मांग की है की 1905 के भीषण भूकंप में अपने अस्तित्व को बचा कर आज तक खड़े इस प्राचीन मंदिर के अस्तित्व को बचाया जाए यहां पर पुराने हो चुके भवनों की मरम्मत कराई जाए और यात्रियों की सुविधा के लिए यहां पर पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा यात्री यहां पर आएं और लोगों को इसकी सुविधा मिल सके यहां पर रौनक होगी तो लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे और ऐतिहासिक टेढ़ा मंदिर को एक नया रूप भी प्राप्त होगा।

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