सरकाघाट में रेस्ट हाउस का कमरा न खोलने पर पीट डाला पीडब्लयूडी का चौकीदार, दोनों युवक थाने तलब
Mandi Crime News लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में कमरा न खोलने पर दो युवकों ने वहां तैनात चौकीदार को पीट डाला। चौकीदार को मारपीट के कारण चोटें आई हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर दोनों युवाओं को थाने तलब किया है।
सरकाघाट, संवाद सहयोगी। लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में कमरा न खोलने पर दो युवकों ने वहां तैनात चौकीदार को पीट डाला। चौकीदार को मारपीट के कारण चोटें आई हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर दोनों युवाओं को थाने तलब किया है। शनिवार को धर्मपुर के रियूर में स्थित लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में तैनात चौकीदार रमेश कुमार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। शनिवार रात को जब वह ड्यूटी पर था तो बसंत सिंह निवासी धर्मपुर और अशोक कुमार निवासी कलशवाई रात को करीब आठ बजे विश्राम गृह में आए और कमरा खोलने के लिए कहने लगे। जब चौकीदार ने उनको पूछा कि उनकी बुकिंग है या नहीं तो उन्होंने मना किया।
इस पर उसने कमरा खोलने से इन्कार कर दिया। दोनों युवक नशे में थे और इस बीच दोनों ने उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। मारपीट में रमेश कुमार को चोटें आई हैं। वहीं मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने दोनों युवकों को थाने तलब किया है।
डीएसपी सरकाघाट तिलक ने बताया कि पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच आरंभ कर दी है। वहीं विभाग के अधिकारियों ने कहा बिना बुकिंग किसी को भी कमरा नहीं दिया जा सकता। मारपीट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
फर्जी ऋण मामले में बैंक प्रबंधन से रिकार्ड तलब
मंडी। फर्जी ऋण मामले में सुंदरनगर पुलिस ने पंजाब नेशनल बैंक प्रबंधन से रिकार्ड तलब किया है। एक शाखा के प्रबंधन ने पुलिस को रिकार्ड उपलब्ध करवा दिया है। दूसरी शाखा ने सोमवार तक रिकार्ड उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया है। आरोपित सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधन रमेश कुमार पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए बुलाने का निर्णय लिया है। बैंक प्रबंधन ने आरोपित को डिमोट कर सेवानिवृत्त कर उसके वित्तीय लाभ रोक दिए हैं। आरोपित छह साल पहले चनोल शाखा में कार्यरत था। वहां उसने बल्ह के पास्ता के एक व्यक्ति के नाम पर 10.20 लाख रुपये का फर्जी ऋण स्वीकृत कर दिया था। उसके बाद आरोपित का मलोह शाखा में स्थानांतरण हो गया था। वहां भी उसने उसी व्यक्ति के नाम पर 20 लाख का फर्जी ऋण बना दिया था। जिस व्यक्ति के नाम पर फर्जी ऋण जारी किया गया था, वह ठेकेदारी करता है। बैंक की दोनोंं शाखाओं में उसने कभी ऋण के लिए आवेदन नहीं किया था। फर्जी तरीके से ऋण स्वीकृत करने के बाद रमेश कुमार सारा पैसा डकार गया था।