स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज की है अहम भूमिका: प्रो. नारायण सिंह राव
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के सप्तसिंधु परिसर में जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। समाज विज्ञान स्कूल के अधिष्ठाता प्रो. नारायण सिंह राव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर एक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
देहरा, संवाद सहयोगी। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के सप्तसिंधु परिसर में जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। समाज विज्ञान स्कूल के अधिष्ठाता प्रो. नारायण सिंह राव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर एक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
समाज विज्ञान स्कूल के अधिष्ठाता प्रो. नारायण सिंह राव ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय
समाज की भूमिका निर्णायक रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नेतृत्व और जनजातीय समाज की भूमिका का ठीक ढंग से मूल्यांकन नहीं हो पाया है। आज जब पूरा देश अमृत महोत्सव मना रहा है तब यह आवश्यक हो जाता है कि जनजातीय समाज की बलिदान का सही ढंग से स्मरण किया जाए। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज को केवल लिखित तथ्यों के आधार पर ठीक ढंग से नहीं समझा जा सकता है।
जनजातीय समाज के लोक-गीत, लोक-परंपराएं और अन्य संस्थानों का अध्ययन कर ही सही निष्कर्षों पर पहुंचा जा सकता है। जनजातीय समाज तकनीकी दृष्टि से भले ही पिछड़ा हो लेकिन सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से बहुत संपन्न है। इसलिए जनजातीय समाज के विकास के लिए हमें नई दृष्टि से कार्य करना होगा। वहीं जनजातीय केंद्र के मानद निदेशक डा. मलकीत सिंह ने कहा कि समाज विज्ञान में समुदायों का अध्ययन करने के लिए नए दृष्टि से कार्य करने की जरूरता है ताकि भारतीय समाज की सही तस्वीर से परिचित हुआ जा सके। बिरसा मुंडा का देश-समाज के लिए बलिदान आज भी करोडों लोगों को प्रेरित करता है।
इस अवसर पर सप्तसिंधु परिसर के निदेशक प्रो. हर्षवर्धन, समाजकार्य विभाग के प्रो. आशुतोष प्रधान सहित समाज विज्ञान स्कूल के विभिन्न विभागों के विद्यार्थी उपस्थित थे। इसके साथ ही शोधार्थी रेशमा रेखुंग, ज्योत्सना, विशाल, ऋषि कुमार, डॉली शर्मा सहित अन्य कई विभागों के शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।