हिमाचल में आज नहीं चलेंगी निजी बसें, सरकारी ही संभालेंगी जिम्मा
हिमाचल प्रदेश में सोमवार से निजी बसें नहीं चलेंगी। सरकारी बसें ही जिम्मा संभालेंगी। रविवार को निजी बस आपरेटर संघ की वर्चुअल बैठक हुई। इसमें फैसला लिया गया कि अभी बस सेवा बहाल नहीं की जाएगी और हड़ताल जारी रहेगी।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में सोमवार से निजी बसें नहीं चलेंगी। सरकारी बसें ही जिम्मा संभालेंगी। रविवार को निजी बस आपरेटर संघ की वर्चुअल बैठक हुई। इसमें फैसला लिया गया कि अभी बस सेवा बहाल नहीं की जाएगी और हड़ताल जारी रहेगी। बैठक में राज्य सरकार के प्रति रोष भी जताया गया। बैठक की अध्यक्षता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने की।
संघ के प्रदेश महासचिव रमेश कमल ने बताया कि निजी आपरेटर टैक्स में 100 फीसद छूट की मांग कर रहे हैं । वे 50 फीसद छूट से सहमत नहीं है। वर्किंग कैपिटल पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए। इससे पहले संघ की जिला यूनियन की वर्चुअल बैठक हुई। इसके बाद दोपहर तीन बजे राज्यस्तरीय यूनियन की बैठक हुई । इसमें प्रदेशभर के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने सरकार द्वारा दी राहत पर विचार साझा किए। कुछ आपरेटर का कहना था कि हमें हड़ताल खत्म कर देनी चाहिए, लेकिन ज्यादातर इसे जारी रखने के पक्ष में थे। आपरेटर चार मई से हड़ताल पर चले गए थे। इसके बाद सात मई को सरकार ने कोरोना कफ्र्यू लगाया। इस कारण से सभी परिवहन सेवाएं बंद कर दी थी। इसके चलते हड़ताल का कोई महत्व नहीं रह गया था। दो दिन पहले कैबिनेट बैठक में परिवहन सेक्टर को सरकार ने बड़ी राहत दी है, लेकिन आपरेटर इससे संतुष्ट नहीं है।
एचआरटीसी की डेढ़ हजार बसें तैयार
प्रदेश में सोमवार से सरकारी बसें सड़कों पर दौड़ेगी। निजी बस आपरेटरों के हड़ताल पर रहने के कारण अब पूरा दारोमदार हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की बसों पर आ गया है। पिछले माह भी निगम की बसों ने ही सेवा दी थी। अब शनिवार और रविवार को भी ज्यादा चलाई जा सकती है। इन दो दिन में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बसों में सवारी कम बैठती हैं। निगम प्रबंधन ने बसें चलाने की पूरी तैयारी कर रखी है। बसें अपने निर्धारित रूट पर चलने को तैयार हैं। इनकी मरम्मत भी करवा ली गई है। पहले दिन 1200 से 1500 से चलाई जा सकती है। निगम की बसों का कुल बेड़ा 3200 का है। कोरोना काल में सभी बसें सड़कों पर नहीं चली। निजी बस आपरेटरों का रवैया नकारात्मक ही रहा है। निजी बस आपरेटर संघ ने कभी भी सरकार का साथ नहीं दिया है। हालांकि संघ के भी कई गुट है। राजेश पराशर की अगुवाई वाले संघ ने हमेशा ही सरकार का विरोध किया है। दो बार किराया बढ़ाने और अब टैक्स में छूट लेने के बावजूद आपरेटरों को जनता के हितों की परवाह नहीं है।