सस्ते राशन की आय सीमा को 45 हजार से एक लाख करने की तैयारी

हिमाचल प्रदेश में सस्ते राशन के लिए आय सीमा को 45 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने की तैयारी है। राज्य सरकार गरीबी रेखा से नीचे कम लोगों के शामिल होने और केंद्र के कोटे के तहत और लोगों को शामिल करने के लिए ऐसी योजना बना रही है।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 11:55 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 11:55 PM (IST)
सस्ते राशन की आय सीमा को 45 हजार से एक लाख करने की तैयारी
डिपो के सस्ते राशन की आयकर सीमा में वृद्धि हो सकती है। प्रतीकात्मक

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में सस्ते राशन के लिए आय सीमा को 45 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने की तैयारी है। राज्य सरकार गरीबी रेखा से नीचे कम लोगों के शामिल होने और केंद्र के कोटे के तहत और लोगों को शामिल करने के लिए ऐसी योजना बना रही है।

इस संबंध में शहरी विकास विभाग को पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई थी। इस संबंध में पंचायती राज विभाग को भी पत्र लिखा गया था, लेकिन यहां से 45 हजार आय सीमा को उचित बताया गया था। प्रदेश में 12.80 लाख के करीब राशनकार्ड धारक हैं। इनमें से करीब सात लाख को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, बीपीएल व अन्य श्रेणियों के तहत सस्ता राशन दिया जा रहा है।

अब शहरी क्षेत्रों में आय सीमा को बढ़ाकर अधिक लोगों को लाभ दिया जाना है। प्रदेश में तीन श्रेणियों के परिवारों का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत तीन रुपये किलोग्राम चावल और 3.20 रुपये किलोग्राम आटा दिया जा रहा है। इसमेें बीपीएल के 2.80 लाख परिवार, जबकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत 1.76 लाख और पीएच यानी प्राइयोरटी हाउसहोल्ड ऐसे परिवार जिन्हें सस्ता राशन देने की आवश्यकता है। उन परिवारों की संख्या 2.22 लाख है। इनको कोरोना काल के दौरान दो किलोग्राम चावल प्रति सदस्य और गेहूं तीन किलोग्राम प्रति सदस्य के हिसाब से दिए जा रहे हैं।

कोरोना से मृत्यु होने पर परिवार को भी मिलेगा सस्ता राशन

जयराम सरकार ने कोविड के कारण मरने वालों के परिवारों को भी सस्ते राशन की सूची में शामिल करने का निर्णय लिया है। इनमें केवल वही परिवार शामिल होंगे, जिनके सदस्य सरकारी नौकरी या पैंशन नहीं ले रहे हैं। आय सीमा के आधार पर ऐसे परिवारों को शामिल किया जाएगा।

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शहरी गरीबों के लिए एक लाख सालाना आय वालों को शामिल करने के संबंध में एक पत्र जारी हुआ था। इस संबंध में अभी कुछ नहीं हुआ है।

-आबिद हुसैन, निदेशक शहरी विकास विभाग

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