लोगों ने उठाया नेर में लक्ष्मीनारायण मंदिर को संवारने का जिम्मा

जोगेंद्रनगर के नेर घरवासड़ा पंचायत के नेर गांव में प्राचीन धरोहर लक्ष्मी नारायण मंदिर की अनदेखी से खफा ग्रामीणों और भक्तों ने खुद ही इसे संवारने का बीड़ा उठा लिया है। भक्तों ने मंदिर परिसर के इर्द गिर्द उगी झाडिय़ों को उखाडा व उगी घास को हटाया।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 04:42 PM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 04:42 PM (IST)
लोगों ने उठाया नेर में लक्ष्मीनारायण मंदिर को संवारने का  जिम्मा
नेर गांव में मंदिर को संवारते लोग। जागरण

जोगेंद्रनगर, संवाद सहयोगी। जोगेंद्रनगर के नेर घरवासड़ा पंचायत के नेर गांव में प्राचीन धरोहर लक्ष्मी नारायण मंदिर की अनदेखी से खफा ग्रामीणों और भक्तों ने खुद ही इसे संवारने का बीड़ा उठा लिया है। पंजीकृत कमेटी की देखरेख में रविवार को काफी संख्या में ग्रामीणों और मंदिर में आस्था रखने वाले भक्तों ने मंदिर परिसर के इर्द गिर्द उगी झाडिय़ों को उखाडऩे के अलावा भवन में उगी घास को हटाया। लक्ष्मी नारायण मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि  प्राचीन धरोहर के रखरखाव पर सबंधित विभाग की उदासीनता से मंदिर के साथ साथ मूतिर्यों को भी नुकसान पहुंचना शुरू हो चुका है। ऐतिहासिक धरोहर की लंबे अरसे से सुध न लेने से धरोहर गिरने की कगार पर है। पहले मंदिर की छत से पानी का रिसाव होता था। लेकिन अब मंदिर परिसर के चारों और से पानी का रिसाव होना शुरू हो चुका है। इसलिए मजबूरन ग्रामीणों और भक्तों को प्राचीन धरोहर को सुरक्षित बचाने के लिए आगे आना पड़ा है। लक्ष्मी नारायण मंदिर को प्राचीन धरोहर का दर्जा प्राप्त है लेकिन इसमें घास उगना शुरू हो चुकी है। हालांकि मंदिर के रखरखाव के लिए अब एक पंजीकृत कमेटी का गठन हो चुका है।

मंदिर का इतिहास

इस मंदिर के इतिहास का कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं हैं लेकिन कहा जाता है भगवान विष्णु ने उपमंडल जोगेंद्रनगर के गांव नेर-मझारनू में करीब 500 साल तक तप किया था। जिसके बाद इस तपोस्थल पर द्वापर काल में ही भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर की स्थापना ऋषियों के द्वारा की गई थी।

अधिकारी कहते हैं

प्राचीन मंदिर की समस्याओं से भली भांति परिचित हूं। पंजीकृत संस्था से भी वार्तालाप कर उचित कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। जिले में प्राचीन धरोहरों की रखरखाव पर विभाग काम कर रहा हैं। विभाग की टीम के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का निरीक्षण भी प्रस्तावित है।

रेवती सैनी, जिला भाषा एवं संस्कृति अधिकारी जिला मंडी।

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