मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व, श्री चामुंड़ा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
मकर संक्रांति के दिन श्री चामुंड़ा नंदिकेश्वर धाम मंदिर में सुबह से ही श्रद्धा बढ़ने लगा है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। लोग स्नान कर ही देवी देवताओ के दर नतमस्तक हो कर नए सा के आगमन पर सुख समृद्धि की कामना करते हैं।
योल, सुरेश कौशल। मकर संक्रांति के दिन श्री चामुंड़ा नंदिकेश्वर धाम मंदिर में सुबह से ही श्रद्धा बढ़ने लगा है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है और लोग स्नान कर ही देवी देवताओ के दर नतमस्तक हो कर नए सा के आगमन पर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। श्री चामुंडा मंदिर समीप वाण गंगा का भी विशेष महत्व है।
यहां शिव शक्ति का वास है और उत्तरी भारत का सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी है। बाहरी राज्यों से आने वाले श्रृद्धालु यहां अक्सर स्नान कर ही मां चामुंडा तथा शिव के दर्शन करते हैं। वाण गंगा का उद्गम स्थान धौलाधार पर्वत श्रृंखला के तालग जोत है, जोकि भगवान शिव की तपस्या स्थली भी मानी जाती है। हालांकि बाण गंगा में वरसात के दिनों में स्नान करने पर पाबंदी लगा दी जाती है।
मकर संक्रांति को कुछ श्रृद्धालु वाण गंगा से सटी बाबड़ी में स्नान करते हैं, क्योंकि इन दिनों वाण गंगा में बर्फीला पानी बहता है। वैसे भी धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्या मकर राशि में प्रवेश करता है तथा इस विशेष तिथि पर वेद मंत्रोचारण के साथ जप तप स्नान दान का विशेष महत्व रहता है। जिससे जरिये तन-मन की शुद्धि का विधान है। वहीं विज्ञान में सूर्या की दशा दिशा का क़ृषि, जलवायु, स्वास्थ्य, परिस्थितिक विविधता ,किरणों के प्रभाव वाले एवं उष्मा का आकलन रहता है। इस तिथि को सूर्य की गति उतरायण होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार देवताओं का वास स्थान उतरी धृर्व तो दैत्यों का निवास दक्षिण ध्रुव है। ऐसे में यह दिन शुभ माना गया है।