तहसील कार्यालय में ऑनलाइन प्रमाणपत्र बनाना बना परेशानी का सबब, लोग बोले, ऑफलाइन जल्दी होता था काम
Online Certificate कोरोना काल में तहसील कार्यालयों में आवश्यक प्रमाण पत्र बनाने के लिए शुरू की गई ऑनलाइन सेवा युवाओं के लिए परेशानी का सबब बन गई है। जो काम ऑफलाइन से उसी दिन हो जाता था ऑनलाइन सेवा में उसके लिए कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। कोरोना काल में तहसील कार्यालयों में आवश्यक प्रमाण पत्र बनाने के लिए शुरू की गई ऑनलाइन सेवा युवाओं के लिए परेशानी का सबब बन गई है। आलम यह है कि जो काम ऑफलाइन से उसी दिन हो जाता था, ऑनलाइन सेवा में उसके लिए कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। गरीब लोगों को इससे आर्थिक बोझ के साथ-साथ समय का भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। तहसील से अप्लीकेशन के सभी फॉर्म वैरिफाई होने के बाद लोकमित्र केंद्रों में जाकर अपलोड करवाने पड़ रहे हैं, जिससे बेरोजगार युवाओं को सैकड़ों रुपये अतिरिक्त अपनी जेब से खर्च करने पड़ रहे हैं।
सरकारी व अर्धसरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने वाले युवाओं को कई तरह के प्रमाण पत्र बनाने जरूरी होते हैं, ऐसे में कुछ ही समय में निशुल्क बनने वाले प्रमाण पत्रों के लिए भी लोगों को कई चक्कर लगाने के साथ लोकमित्र केंद्रों की भी भारी भरकम फीस चुकानी पड़ रही है। युवाओं का कहना है कि एक तो बेरोजगार और ऊपर से तहसील कार्यालय से उन्हें फॉर्म अपलोड करवाने के लिए लोकमित्र केंद्रों में भेजा जा रहा है। ऑनलाइन की अपेक्षा ऑफलाइन प्रक्रिया लोगों के लिए ज्यादा सुविधाजनक है।
प्रमाण पत्रों के लिए चुकाने पड़ रहे सैकड़ों रुपये
युवाओं को किसी भी तरह के प्रमाण पत्र बनाने से पहले अर्जीनवीसों से अप्लीकेशन फार्म लेना पड़ता है। उसके बाद तहसीलदार से संबंधित पटवारी को फॉरवर्ड करना पड़ता है। अपने हलका पटवारी से अप्लीकेशन फॉर्म पर रिपोर्ट करवाने के बाद तहसील में स्टैंप टिकट लगवाकर तहसीलदार या नायब तहसीलदार से अप्लीकेशन फॉर्म वैरिफाइड करवाने पड़ते हैं। जब कागज वैरिफाइड हो जाते हैं, तो फिर युवाओं को लोकमित्र केंद्र से फॉर्म को अपलोड करवाने के लिए भेजा जा रहा है।
लोकमित्र केंद्रों से फॉर्म को स्कैन करके ऑनलाइन सेवा में अपलोड़ करवाने की भारी भरकम फीस चुकानी पड़ती है। उसके बाद डीलिंग क्लर्क के पास आकर अपलोड़ किए गए फॉर्म को तहसीलदार को फॉरवर्ड करवाना पड़ता है। फिर तहसीलदार के पास उसको अप्रुव करवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। वहीं अगर तहसीलदार कार्यालय से बाहर तो फिर उन्हें और परेशान होना पड़ता है। प्रक्रिया के अंत में तहसीलदार से प्रमाण पत्र अप्रुव होने के बाद फिर उसी लोकमित्र केंद्र में जाकर उन प्रमाण पत्रों का ङ्क्षप्रट निकलवाना पड़ता है। इसी प्रक्रिया में लोगों को कई दिन लग रहे हैं। और यदि फॉर्म दूसरे दिन अप्रुव होते है तो जो दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से कई कई बसें बदलकर तहसील कार्यालयों में पहुंचते है उन्हें फिर किराया और समय का नुकसान झेलकर शहर में लोकमित्र केंद्र से प्रमाण पत्र प्रिंट करवाने पड़ रहे हैं।
ऑफलाइन प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश दे सरकार
रमेश कुमार, विनीत, दीपक, रेखा, अजय, सुमित, मोहनलाल, नीरज आदि अनेकों लोगों का कहना है कि सरकार व जिला प्रशासन को ऑनलाइन सेवा की जगह फिर से ऑफलाइन प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश जारी करने चाहिए, ताकि लोगों को समस्याओं का सामना न करना पड़े। ऑनलाइन सेवा गरीब युवाओं के लिए परेशानी का कारण बन गई है। ऑफलाइन प्रमाण पत्र इससे जल्द तहसील कार्यालयों में बन जाते थे। अब समय के साथ साथ लोकमित्र केंद्रों में जाकर फॉर्म अपलोड़ करवाने का अतिरिक्त खर्चा वहन करना पड़ रहा है।