जोगेंद्रनगर में ज्योति की संदिग्ध मौत पर चढ़ा सियासी पारा, निशाने पर प्रदेश भाजपा सरकार
जोगेंद्रनगर में ज्योति की संदिग्ध मौत के मामले में सियासी पारा चढ़ चुका है और निशाने पर प्रदेश भाजपा सरकार है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने ज्योति की संदिग्ध मौत को हत्याकांड का रूप देकर अपनी सियासत शुरू कर दी है।
जोगेंद्रनगर,राजेश शर्मा। जोगेंद्रनगर में ज्योति की संदिग्ध मौत के मामले में सियासी पारा चढ़ चुका है और निशाने पर प्रदेश भाजपा सरकार है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने ज्योति की संदिग्ध मौत को हत्याकांड का रूप देकर अपनी सियासत शुरू कर दी है। इसमें कांग्रेस, माकपा और महाविद्यालय के छात्र संगठन भी कूद पड़े हैं। आगामी कुछ माह में मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के साथ प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव भी प्रस्तावित है। वहीं आगामी विधानसभा चुनाव भी होने हैं।
ऐसे में प्रदेश भाजपा सरकार प्रदर्शनकारी और राजनेताओं के निशाने पर आ चुकी है। बीते कुछ दिनों से ज्योति की संदिग्ध मौत पर धरने प्रदर्शन का सिलसिला लगातार जारी है। कल 14 सितंबर को माकपा नेता कुशाल भारद्वाज ने भी ज्योति को इन्साफ दिलाने के लिए सामूहिक भूख हड़ताल का ऐलान कर दिया है। ऐसे में ज्योति की संदिग्ध मौत पर सियासी पारा चढ़ चुका है और कोई भी राजनीतिक दल इस पर अपनी सियासत चमकाने से पीछे नहीं रह रहा है। ज्योति की संदिग्ध मौत पर पुलिस ने एसआईटी गठित कर उच्च स्तरीय जांच भी बिठा दी है। इस मामले में फौरेंसिक और डीएनए रिर्पोट आने के बाद पुलिस अन्य धाराओं को शामिल कर जांच बढ़ाएगी।
लेकिन इससे पहले विभिन्न राजनैतिक दलों के उग्र धरने प्रदर्शन प्रदेश सरकार की परेशानियां बढ़ सकती हैं। क्योंकि हाई प्रोफाइल बनते जा रहे इस मामले में प्रदेश भाजपा सरकार भी प्रदर्शनकारियों के निशाने में है। शनिवार को जोगेंद्रनगर शहर में हुए उग्र धरने प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश भाजपा सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की और मामले पर उच्च स्तरीय जांच का दबाव प्रदेश सरकार पर बनाया। बहुचर्चित गुडिया हत्याकांड में पूर्व कांग्रेस सरकार भी प्रदर्शनकारियों के निशाने में रही थी। उस दौरान भी मामले की जांच पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर जब सवाल उठे तो सीबीआई जांच करवानी पड़ी। इस मामले में भी सीबीआई जांच को लेकर प्रदेश प्रदर्शनकारियों ने आवाज बुलंद की है। ऐसे में अगर जल्द यह मामला सुलझता नहीं तो यह मामला मौजूदा सरकार के लिए गले की फांस बन सकता है।