पैराग्लाइडिंग एक्यूरेसी कप में थल सेना का जलबा, पहले तीन स्थान झटके
हिमाचल प्रदेश के बिलिंग में आयोजित भारतीय सेना के पैराग्लाइडिंग एक्यूरेसी कप का समापन हो गया। इसमें थल सेना के तीन जांबाजों ने पहले तीन स्थान में कब्जा किया।
मुनीष दीक्षित, बिलिंग (बैजनाथ)। पैराग्लाइडिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध बिलिंग घाटी में जारी सेना के एक्यूरेसी पैराग्लाइडिंग कप में थल सेना का जलबा रहा। इस प्रतियोगिता का खिताब भारतीय थल सेना के नायक आशीष के नाम रहा है। जबकि दूसरे स्थान में थल सेना के ही ए कुपुस्वामी तथा तीसरे स्थान में भी थल सेना के ही नायक सुनील ने कब्जा किया।
इस प्रतियोगिता में कुल चार राउंड रखे गए हैं। बुधवार को प्रतियोगिता का समापन हुआ। इसमें उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह मुख्यातिथि रहे। उन्होंने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। इसमें नायक आशीष ने 1179, हवलदार ए कुपुस्वामी ने 1466 तथा नायक सुनील ने 1567 अंक प्राप्त किए। इसमें सबसे कम कम हासिल करने वाले आशीष को विजेता घोषित किया गया।
इस प्रतियोगिता के चार राउंड थे। बुधवार को हुए अंतिम राउंड के बाद विजेताओं की घोषणा कर दी गई। सेना के प्रवक्ता के अनुसार प्रतियोगिता में कुल छह राउंड रखे गए थे। इसमें दो ट्रायल राउंड व बाकि चार प्रतियोगिता में अंक हासिल करने वाले राउंड थे।
देश में पहली बार सेना द्वारा आयोजित एक्यूरेसी कप में सेना के सभी विंगों के प्रतिभागी भाग ले रहे थे। इसके अलावा अर्द्ध सैनिक बलों से असम राइफल व बीएसएफ के प्रतिभागी भी इस प्रतियोगिता में भाग ले रही है। इसमें भारतीय थल सेना से आठ, नेवी से चार, एयर फोर्स से पांच, असम राइफल से तीन व बीएसएफ से चार प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस मौके पर सेना के अधिकारियों सहित एसडीएम बैजनाथ विकास शुक्ला व नगर पंचायत बैजनाथ पपरोला की अध्यक्षा रूचि कपूर भी विशेष रूप से मौजूद रहीं।
प्रभावित नहीं हुई टेंडम उड़ानें
बिलिंग में आयोजित किसी प्रतियोगिता के दौरान यह पहला मौका था कि इस इवेंट के कारण कोई भी टेंडम उड़ान प्रभावित नहीं हई। सभी टेंडम उड़ाने इस दौरान होती रही। इसमें कहीं भी व्यवधान नहीं पड़ा। इससे टेंडम उड़ानें करवाने वाले पायलट भी खुश नजर आए और पर्यटकों ने भी खूब आनंद लिया।
हर बार होगा आयोजन
बिलिंग में पहली बार सेना द्वारा आयोजित यह प्रतियोगिता हर साल होगी। सेना के अधिकारी खुद इस आयोजन को करवाने के इच्छुक हैं। हालांकि अभी तक यहां सेना ने पहली बार केवल एक्यूरेसी कप का ही आयोजन किया है। लेकिन अगली बार से सेना यहां क्रास कंट्री प्रतियोगिता भी आयोजित कर सकती है। ताकि सेना के पायलट भी दुरुह पहाड़ों में उड़ान का अनुभव हासिल कर सके। एक्यूरेसी कप में पायलट को लैडिंग के लिए बनाए गए निर्धारित गोले के अंदर ही उतरना होता है। इसमें टेक ऑफ से उड़ान भरी और कुछ देर में लैडिंग साइट में उतर जाते हैं। जबकि क्रास कंट्री में प्रतिभागियों को 50 से सौ किलोमीटर तक की उड़ान का एक लक्ष्य दिया जाता है, उसे निर्धारित समय पर पूरा करके सबसे पहले पहुंचने वाले पायलट को विजेता माना जाता है।
सोमवार को इस प्रतियोगिता का शुभारंभ दाह डिवीजन के जनरल आफिसर कमांडिग मेजर जनरल अनिल कुमार सामंत्रा ने किया था।
क्रास कंट्री से अलग है एक्यूरेसी चैंपियनशिप
बिलिंग में पहली बार सेना द्वारा आयोजित यह प्रतियोगिता यहां हर साल होने वाली क्रास कंट्री प्रतियोगिता से अलग है। इस बार यहां एक्यूरेसी कप का आयोजन हो रहा है। इसमें पायलट को लैडिंग के लिए बनाए गए निर्धारित गोले के अंदर ही उतरना होता है। इससे ही उसे अंक मिलते हैं। इसके लिए लैडिंग साइट में दस मीटर का गोला लगाया जाता है। इसके अंदर तीन बड़े गोले लगाए जाते हैं। बड़े गोले में उतरने पर अधिक मिलते हैं। सभी राउंड की समाप्ति पर जिस प्रतिभागी के सबसे अधिक अंक होते हैं, उसे विजेता घोषित किया जाएगा। जबकि क्रास कंट्री में प्रतिभागियों को 50 से सौ किलोमीटर तक की उड़ान का एक लक्ष्य दिया जाता है, उसे निर्धारित समय पर पूरा करके सबसे पहले पहुंचने वाले पायलट को विजेता माना जाता है।
छह बार प्री व एक बार वर्ल्ड कप का हो चुका आयोजन
बिलिंग घाटी में छह बार पैराग्लाइडिंग प्री वर्ल्ड कप का आयोजन हो चुका है। जबकि वर्ष 2015 में पहली बार देश के पहले पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप का आयोजन यहां हुआ है। बिलिंग घाटी जिला कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल के बीड़ गांव से 14 किलोमीटर ऊपर धौलाधार की पहाड़ी में 24 सौ मीटर की ऊंचाई पर है। इस घाटी में इटली के बाद विश्व का दूसरी बेहतरीन पैराग्लाइडिंग साइट मौजूद है। जहां से दो सौ किमी तक उड़ान की सुविधा है।
1984 से खुला बिलिंग का आकाश
बिलिंग घाटी हवाई रोमांचक खेलों के लिए पहली बार वर्ष 1984 में अस्तित्व में आई थी। उस समय इस घाटी से केवल हैंगग्लाइडिंग शुरू हुई थी। उसी दौरान यहां हैंगग्लाइडिंग की भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। वर्ष 1992 में यहां पहली बार पैराग्लाइडिंग की उड़ान भरी गई थी। यहां पहुंचे एक विदेशी पायलट ब्रूस मिल्स ने यहां पैराग्लाइडिंग का सिलसिला शुरू किया था तथा कई स्थानीय युवाओं को भी इसका प्रशिक्षिण दिया। वर्ष 2003 में इस घाटी में पहला पैराग्लाइडिंग प्री वर्ल्ड कप आयोजित किया गया था।
क्या है पैराग्लाइडिंग
पैराग्लाइडिंग दो प्रकार से होती है। एक टेंडम व दूसरी सोलो। टेंडम में एक प्रशिक्षित पायलट किसी भी पैराग्लाइडिंग से अंजान व्यक्ति को अपने साथ उड़ा सकता है। जबकि सोलो पैराग्लाइडिंग में केवल अकेला ही पायलट उड़ता है। प्रदेश में अधिकांश पर्यटक लाईसेंस व अनुभव न होने के कारण केवल टेंडम पैराग्लाइडिंग ही करते है। यह पूरी तरह से हवा पर निर्भर रहने वाला खेल है।
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