पैराग्‍लाइडिंग यानी हादसों की उड़ान, यहां नियमों को ताक पर रखकर हो रही हवा में कलाबाजी

कुल्लू के पतलीकूहल के डोभी में पैराग्लाइडिंग के दौरान हुई पर्यटक की मौत के बाद पर्यटन विभाग की तकनीकी कमेटी की जांच पर संशय खड़ा हो गया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 09:47 AM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 03:58 PM (IST)
पैराग्‍लाइडिंग यानी हादसों की उड़ान, यहां नियमों को ताक पर रखकर हो रही हवा में कलाबाजी
पैराग्‍लाइडिंग यानी हादसों की उड़ान, यहां नियमों को ताक पर रखकर हो रही हवा में कलाबाजी

मंडी, मुकेश मेहरा। जिला कुल्लू के पतलीकूहल के डोभी में पैराग्लाइडिंग के दौरान हुई पर्यटक की मौत के बाद पर्यटन विभाग की तकनीकी कमेटी की जांच पर संशय खड़ा हो गया है। एक तरफ पर्यटन विभाग पैराग्लाइडिंग करवाने वाले सभी संचालकों के लाइसेंस तकनीकी कमेटी द्वारा जांच की बात कर रहा है तो दूसरी तरफ कमेटी के अधिकारी लिस्ट देखकर ही यह स्पष्ट करने की बात कह रहे हैं कि किस संचालक की तकनीकी जांच हुई है, किसकी नहीं। ऐसे में पतलीकूहल में हुए हादसे ने कहीं न कहीं कुल्लू में पैराग्लाइडिंग को लेकर चल रही अनियमितताओं को फिर से कटघरे में लाकर खड़ा किया है।

दैनिक जागरण ने पूर्व में नियमों के अनुसार पैराग्लाइडिंग के लिए लाइसेंस न जारी करने का मामला उठाया था। इसके बाद सरकार व प्रशासन ने इसके नए नियम बनाकर कैबिनेट की अप्रूवल के लिए फाइल भेजी, जिस पर अभी सहमति नहीं आई है। सूत्र बताते हैं कि मामला उजागर होने के बाद कुल्लू प्रशासन ने पूर्व में ट्रेवल एजेंसी की फाइल के साथ ही दो प्रार्थना पत्र जोड़कर पैराग्लाइडिंग करवाने वाले संचालकों को एडवेंचर स्पोट्र्स ऑपरेट्र्स बनाया। इसका खुलासा इस बात से हुआ कि जहां धर्मशाला में इसके लिए 24 नियम पूरा करने बताए गए थे, वहीं कुल्लू में केवल 12 की सूची ही थी।

ऐसे में आनन-फानन में ये लाइसेंस जारी हुए। वहीं, सूत्र बताते हैं कि तकनीकी जांच हुई या नहीं इस पर भी संशय बना हुआ है। हालांकि अधिकारी बताते हैं कि तकनीकी जांच के बाद ही आगामी कार्रवाई को अमलीजामा पहनाया गया है। सोमवार को हुए हादसे में कहीं न कहीं तकनीकी खामी सामने आना एक बड़ा प्रश्न बना है। इस हादसे में चेन्नई के पर्यटक की मौत हुई है।

तकनीकी जांच कितने पैराग्लाइडिंग के संचालकों की हुई है, यह सूची देखकर ही बता सकता हूं। तकनीकी खामियों को पूरा करने के लिए समय-समय पर संचालकों को जागरूक भी किया जाता है। कर्नल नीरज, निदेशक, मनाली स्थित माउंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट।

तकनीकी जांच के बाद ही लाइसेंस जारी किए गए हैं। हादसे की वजह पैराग्लाइडर की बेल्ट (हार्नेस) खुलना बताई जा रही है। कहीं न कहीं पायलट या अन्य कमी इस हादसे की वजह रही है। बीसी नेगी, जिला पर्यटन अधिकारी

दो माह बंद रहती है पैराग्लाइडिंग

पैराग्लाइडिंग और रिवर राफ्टिंग का जुलाई से सितंबर तक बरसात के दौरान बंद रहती है। लगभग दो माह बंद रहने के बाद इसे आरंभ किया जाता है। इस बार मौसम खुलते ही रिवर राफ्टिंग के दौरान एक पर्यटक की मौत हुई और अब एक माह बाद पैराग्लाइडिंग के दौरान हुए हादसे में पर्यटक की जान चली गई। सितंबर के बाद कुल्लू जिला में पैराग्लाइडिंग आरंभ हुई। सोलंगनाला, मढी, डोभी, रायसन, फोजल साइट से पैराग्लाइडर उड़ान भरते हैं। इस साइट की पर्यटन विभाग की तकनीकी कमेटी जांच करती है। इसके बाद ही पैराग्लाइडर को उड़ान की इजाजत होती है। कुल्लू जिला में 500 पैराग्लाइडर पायलट हैं। जिला कांगड़ा के बीड़ बिलिंग में पैराग्‍लाइडिंग हब है।

हादसे के बाद जागता है प्रशासन

कुल्लू में पैराग्लाइडिंग के दौरान कई पर्यटकों अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। हादसे के बाद ही प्रशासन जागता है। इसके बाद फिर स्थिति जस की तस हो जाती है। इस हादसे के पीछे भी तकनीकी कारण वजह माने जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं नौ-नौ पैराग्लाइडर रखने वालों ने एक ही  रेस्क्यू पैराशूट रखा होता है।

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